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14 जून 2015

बेबस पुलिस...!!!


आज मै आपको बता रहा हूँ, लोकतंत्र के अभिन्न अंग, और नागरिको कि सुरक्षा तंत्र पुलिस के बारे में..
आज कुछ बातें सोच कर बेचारी पुलिस के बारे में लिख रहा हूँ, हो सकता है मै गलत भी हो सकता हूँ, परन्तु मैंने पुलिस को अच्छी तरह से जानकर और समझकर ही लिखा है,!
पुलिस एक ऐसी व्यवस्था है, जो हमे और हमारे समाज को जोड़े रखती है, कोई जुर्म करने से पहले १० बार पुलिस के बारे में सोचता है, पुलिस का डर सभी के मन में होता है, और शायद यही वजह है कि क्राइम खुले आम नही होते...! इसके लिए हमारी पुलिस को धन्यवाद् देना चाहिए..., कुछ मौके और कारण ऐसे होते है, जब लोगों का पुलिस से विश्वास उठ जाता है.., क्योकि कई जगह पुलिस निष्पक्षता के साथ काम नही करती.. ऐसा कुछ पुलिस कर्मियो के भ्रस्ट होने के चलते होता है! लेकिन उन्हें भ्रस्ट भी हम लोग ही बनाते है, शुरू से जब काम अपना नही हो, तो पैसे देने की आदत जो डाली हुई होती है! फिर कोई अपने आप को भ्रस्ट नही कहेगा, पुलिस को भ्रस्ट कहेगा..!
आज समाज के अपराधियों में भय भी पुलिस का ही है, वर्ना हम और आप जैसे लोगों को गिनता ही कौन है,! ये पुलिस ही है, जो कई गलत मुजरिमो को अंजाम तक पहुचती है, कोई वकील नही न्याय दिलाता, ये पुलिस ही है जो जुर्म बंद कोठरियों और सुने मकानो में होते है, ये पुलिस ही है जो देश के भ्रस्ट से भी भ्रस्ट नेताओ, अधिकारियो और समाज के देशवासियों कि सुरक्षा में हमेशा लगी रहती है.., कुछ भी कही गलत होता है तो कोई गलती करने वाले को दोष नही देता, सिर्फ दोषी ही पुलिस होती है! समाज चाहे गलत हो, लेकिन वो गलत नही कहलाता उल्टा समाज कि बुराई ख़तम नही हो रही उसके लिए भी दोषी भी पुलिस ही है! धरना कोई खुद कि महत्वकांशा के लिए दे, रात रात भर जाग के पुलिस पहरा दे, उसमे भी दोषी पुलिस ही है, भीड़ पथराव करे पुलिस वालें चोटिल हो जाये, फिर काबू में करने के लिए लाठीचार्ज करे तो गलती पुलिस कि..रात को चोरो को सर्दी गर्मी बरसात में पकड़ने जाये और वो न मिले तो गलती पुलिस की, जाने इतनी कितनी ही बातें है जो हम जिम्मेदार केवल पुलिस को मानते है,! एक तरफ आम लोग दूसरी तरफ नेता और सरकार, माने तो किसकी, और ना माने तो किसकी,! दबाव इतना की काम करना मुश्किल हो जाये.. फिर भी हम जिम्मेदार पुलिस को ही मानते है! न की समाज और भ्रस्ट लोगों को.. अपने साथ कुछ गलत हुआ तो सबसे पहले पुलिस काम आती है, नेता नही... यहाँ देश के नेता पुलिस को ही काटने में लगे हैं, !
पुलिस पर दबाव डालने से पहले खुद सोचो की पुलिस काम करती है, सबसे न्यूनतम सरकारी पगार भी पुलिस कि ही होती है, इन्होने कभी हड़ताल नही की, आज़ादी के इतने साल बीत गये लेकिन कभी सुना है, पुलिस हड़ताल पे या धरने पे बैठी हो, अपना काम हमेशा करती है. और सरकार का ऐसा कोनसा विभाग है जिसमे हड़ताल नही होती! शर्म करनी चाहिए ऐसे लोगों को जो खुद को बदल नही पते, और पुलिस को दोष देते है...
आज एक नक्सलवादी विचारधारा का नेता पुलिस को धरने पे बैठने को कह रहा है,! क्या ये सही है! अगर ऐसा हो गया न तो दूसरे ही दिन भारत कभी देश था, सोचते रह जाओगे.!
तो आज से पुलिस को टारगेट बनाना छोडो, और स्वयं पर ध्यान दो, हम बदलेंगे तो जरूर अच्छा रहेगा, वरना पुलिस पुलिस बदलती है तब कुछ अच्छा नही होता.!
पुलिस, सी.बी.आई., आई.बी.,एस.पी.जी., रॉ, एस.आई.टी., आदि सभी पुलिस वाले ही तो होते है, जो पुलिस से निकल कर इनमे कार्य करते है, फिर क्यों हम पुलिस को दोषी मानते है!
ऐसी अराजकता छोड़िये, और पुलिस के साथ और महत्व को समझिये.

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