चीख कर
झिड़क कर
तुमने तो कह दिया
तुम्हारी शर्ते
तुम्हारी ख्वाहिशे
तुम्हारी चाहतें
तुम्हारा प्यार
मुझे मंज़ूर नहीं
में क्या करता
रिश्ता
खो जाने के डर से
भींगी आँखों को
रुमाल की ओट में छुपाकर
खामोश शजदर हो गया ,,,,,अख्तर
झिड़क कर
तुमने तो कह दिया
तुम्हारी शर्ते
तुम्हारी ख्वाहिशे
तुम्हारी चाहतें
तुम्हारा प्यार
मुझे मंज़ूर नहीं
में क्या करता
रिश्ता
खो जाने के डर से
भींगी आँखों को
रुमाल की ओट में छुपाकर
खामोश शजदर हो गया ,,,,,अख्तर
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