आपका-अख्तर खान

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11 जून 2015

ऐ मेरे देश के भोले भाले नोजवानो

ऐ मेरे देश के भोले भाले नोजवानो ,,,,झूंठे वायदों के झांसों में आकर नालायको को चुनकर भेजने वालो ,,,ज़रा सोचो ,,तुम कहीं पुरे साल में किये गए वायदों को निभाने का हिसाब ना मांगो ,,रोटी कपड़ा मकान जैसी ज़रूरी चीज़ों के बढ़ते दामों के लिए सरकार का गिरेहबान ना पकड़ सको इसीलिए तो यह सियासी भेड़िये तुम्हे और हमे योगा ,,,सूर्य नमस्कार ,,,घरवापसी ,,,साम्प्रदायिक उन्माद जैसे मामलो में उलझाकर बेवक़ूफ़ बना रहे है और खुद जेड सुरक्षा लेते है तो मुफ्त की सेर सपाटे उड़ाते है और हमे लढा कर बेवजह बहस में उलझाकर यूँ ही मज़े कर शाम की पार्टियों में बंद कमरों में पक्ष विपक्ष मिलकर खिलखिलाते है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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