ऐ मेरे अल्लाह ,,,,तू मुझे ऐसा सब्र ,,ऐसा हुनर ,,ऐसी तौफ़ीक़ दे ,,के जो
दोस्त है मेरे ,,,वोह तो मेरे अपने ही रहे ,,,और जो मुझ से बुग़ज़ रखते
है,,जो मुझ से दुश्मनी रंजिश रखते है ,,जो मेरी ग़ीबत करते है ,,जो मुझ से
खफा,,, मुझ से नाराज़ है ,,जो लोग मेरी इज़्ज़त और जान के की दुश्मन बने है
,,उन लोगों को में अपना दोस्त बना सकु ,,,,,,जो लोग मुझ से मेरी जाति
,,मेरे समाज से नफरत करते है ,,उन सभी को में अपने सब्र और प्यार से मेरा
अपना बना सकूँ ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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