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21 जून 2015

अफ़सोस सद अफ़सोस ,,,सर शर्म से झुक गया

अफ़सोस सद अफ़सोस ,,,सर  शर्म से झुक गया ,,,,हाल ही में योगा दिवस को लेकर जो टकराव जो दलीले ,,जो साम्प्रदायिकता का ज़हर देखने को मिला वोह सब हमारे देश की तहज़ीब नहीं है ,,वोह सब  हमारे देश की सियासत की गंदगी तो है लेकिन  हमारे देश के धार्मिक संस्कार नहीं है ,,चाहे हिन्दू हो ,,चाहे मुस्लिम हो ,,चाहे सिक्ख हो ,,चाहे ईसाई हो सभी धर्मो के संस्कार विनम्र है ,,प्यार और सद्भाव सिखाते है ,,लेकिन इस योग की बहस ने हम में से कुछ को जानवर बना दिया हम अपनी मर्यादाओं को प्यार कर अपनी बात मनवाने के लिए एक दूसरे को नीच दिखाने ,,एक दूसरे के लिए बकवासबाज़ी करने ,,एक दूसरे के मज़हब को कमज़ोर बताने के प्रयासों में जुट गए ,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया हो  चाहे प्रिंट मिडिया हो अनावश्यक बहसबाज़ी हुई ,,हद तो यह रही के एक दूसरे से भाईचारा ,,सद्भावना का रिश्ता बढ़ाने का प्रतीक सोशल मिडिया भी अपनी मिठास ,,प्यार के रंग भुलाकर एक दूसरे के खिलाफ परस्पर ज़हर घोलने में लग गया ,,तर्क ,,कुतर्क से बोझिल माहोल हो गया ,,कई बार तो मन करा के सोशल मिडिया पर जिन दोस्तों पर हमे अपना होने ,,जिनके समझदार होने पर हमे गर्व है आज वोह कैसे पराये पराय से ,,नफरत भरे माहोल को जन्म दे रहे है ,,,कैसे कैसे कुतर्क ,,केसी केसी अपमानकारी टिप्पणियां कर रहे है ,,मन उदास रहा मेरे एक दोस्त एडवोकेट कमलेश की भावनाए तो बहुत आहत हुई ,,एक बार सोचा मेरे अपनों को दरकिनार कर दूँ लेकिन फिर सोचा जैसे भी है ,,है तो मेरे अपने ,,इन्हे अपनी बात कहने का तो हक़ है लेकिन परवरिश और सियासी भक्तगिरी में यह अपने होश खो गए है और इसीलिए जो बात सलीक़े से कही जा सकती है उस बात को यह गुस्से में अपमानकारी भाषा में कह रहे है ,,,कोई बात नहीं दोस्तों अपनी जुबां ,,अपने अलफ़ाज़ अपनी खुद की पहचान होती है ,,,दलित और मुस्लिम इलाक़ों में विश्व की सबसे बहतरीन अजीबो गरीब गालियां सीखने को मिलती है ,,,में और मेरे दोस्त इन सभी गालियों को जानते है ,,लेकिन समझते है के गालियों या अपशब्द से अपनी बात का वज़न कम हो जाता है ,,इसलिए दोस्तों आपके अपशब्द भी हमने आपका प्यार समझकर गटक लिए ,,,,,,,योगा या फिर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के खिलाफ क्या किसी को  बोलने का हक़ नहीं ,,,,विरोधियों से पूंछना चाहता हूँ क्या नरेंद्र मोदी को योग करने का हक़ नहीं अनतर्राष्ट्रीय योग दिवस हमारे लिए गौरव की बात हो सकती है ,,,,लेकिन इसे धर्म से जोड़कर इसे विवादित बनाना हमारी बेवकूफी ही कही जायेगी ,,योगा कोई ज़रूरी नहीं केवल ऐच्छिक था ,,जिसकी मर्ज़ी पढ़े जाए ,,, जिसकी मर्ज़ी पढ़े ना जाए ,,लेकिन इस योगा को कुछ ने हिन्दू कुछ ने मुसलमान बना दिया कोंग्रेसी मुसलमानो की इस योग के प्रति सोच अलग हुई तो भाजपा के मुसलमानो ने तो इस योग पर क़ुरआन मजीद के गलत फ़र्ज़ी हवाले से किताबे छाप कर भाजपा सरकार में मंत्री दर्जा ओहदा प्राप्त करने की जुगत लगा डाली ,,,दोस्तों ,,मेरे भाइयों बात योग की नहीं ,,बात कांग्रेस भाजपा की नहीं ,,बात  हिन्दू मुस्लिम की नहीं ,,बात है नफरत की ,,झूंठ की फरेब की ,,हमे अपने अंदर झांकना होगा ,,अपने अंदर धर्म मज़हब और देश के प्रति समर्पित राष्ट्रीयता को तलाशना होगा ,,,,,नरेंद्र मोदी ने तिरंगे से नाक पोंछी ,,,तिरंगे को अंगोछा बनाया ,,, नितिन गडकरी योग के बाद खुद अकेले नहीं उठ पाये ,,करोडो फ़िज़ूल खर्च हुए ,,यह सब जुमले ,,आरोप प्रत्यारोप है इसका जवाब ,,नरेंद्र मोदी का अंगोछा तिरंगा नहीं था ,,,या फिर कोंग्रेसी भी तो तिरंगे का इस्तेमाल करते है नहीं है ,,,,,,,,देश देख रहा है ,,हम बेवजह आरोप प्रत्यारोप में पढ़ते है ,,, नरेंद्र मोदी से भूल हो सकती है ,,नीतिनगडकरी बीमार हो सकते है इन स बी का सब का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए ,,,,दोस्तों लिखना बहुत चाहता हूँ लेकिन डरता हूँ आप लोगों के गुस्से ,,आप लोगों की नाराज़गी से क्योंकि आप लोग मेरे हम दम मेरे राहबर हो में आप को खोना नहीं चाहता वक़्त ब वक़्त में आपसे मार्गदर्शन चाहता हूँ ,,दोस्तों मुझ से मेरे अल्फ़ाज़ों में आज कल परसों अगर कोई गलती हुई है तो  प्लीज़ मुझे मुआफ करना ,,,,लेकिन आपसे भी गुज़ारिश है के अगर आप को लगे के आपने मेरे मित्र कमलेश की शान में बेवजह गुस्ताखी की ,,गंदे ,,भद्दे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल किया है तो प्लीज़ आप भी उनसे मुआफ़ी मांगकर माहोल को साज़गार बनाइये ,,हम और आप एक है ,,हम और आप एक दूसरे के दुःख दर्द बांटने वाले एक दूसरे की कामयाबी पर वाह वाह करने वाले है ,,एक दूसरे के पूरक है सो प्लीज़ मुझे भी मुआफ कीजिये और आप भी अपने  अंतर्मन को टटोले ,,,,,,आओ एक बोझिल वातावरण को फिर से खुशनुमा वातावरण का बनाये ,,आओ   इस माहोल में फिर से एक दूसरे से गले मिलकर खुशिया बिखेरे और शपथ ले कभी भी किसी भी सियासी ,,किसी मज़हबी मामले का निजीकरण कर नफरत का वातावरण नहीं बनाएंगे अपने अल्फ़ाज़ों पर कंट्रोल करेंगे प्यार देंगे    प्यार लेंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आपका गुस्ताख़  माफ़ी का तलबगार ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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