आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

10 जून 2015

मैं बात कर रहा हूँ

मैं बात कर रहा हूँ इस्लाम के आख़िरी
नबी हज़रत
मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°)
की..ं आप
(सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°)
ने औरतों के हक़ में उस वक़्त आवाज़ उठाई
जिस दौर
में
बेटियों को जिंदा दफना दिया जाता
था और
विधवाओं को जीने तक का अधिकार न
था...
हाँ ये वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही
°वसल्लम°) हैं
जिन्होंने एक गरीब नीग्रो बिलाल
(रजि अल्लाहू ) को अपने गले से लगाया,
अपने
कंधों पर बैठाया, और इस्लाम का पहला
आलिम
मुक़र्रर किया....
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम
°)
जिन्होंने कहा की मज़दूर
का मेहनताना उसका पसीना सूखने से
पहले
अदा करो, मज़दूर पर उसकी ताक़त से
ज़्यादा बोझ न डालो, यहाँ तक की काम
में
मज़दूर का हाथ बटाओ....
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम
°)
जिन्होंने कहा की वो इंसान मुसलमान
नहीं हो सकता जिसका पड़ोसी भूखा
सोये,
चाहे वो किसी भी मज़हब का हो...
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम
°)
जिन्होंने कहा की अगर किसी ग़ैर
मुस्लिम पर
किसी ने ज़ुल्म किया तो अल्लाह की
अदालत में
वो खुद उस ग़ैर मुस्लिम की वक़ालत
करेंगे....
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम
°)
जिन्होंने अपने ऊपर कूड़ा फेंकने वाली
बुज़ुर्ग औरत
का जवाब हमेशा मुस्कुरा कर दिया और
उसके
बीमार हो जाने पर ख़ुद खैरियत पूछने
जाते हैं....
हाँ वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही
°वसल्लम°)
जिन्होंने कहा की दूसरे मज़हब का मज़ाक

बनाओ...
वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम
°)
जिन्होंने जंग के भी आदाब तय किये की
सिर्फ
अपने बचाव में ही हथियार उठाओ...बच्चे,
बूढों और
औरतों पर हमला न करो बल्कि पहले उन्हें
किसी महफूज़ जगह पहुँचा दो...यहाँ तक
की पेड़
पौधों को भी नुकसान ना पहुचाने की
हिदायत
दी...उसी अज़ीमुश्शान शख्सिअत के बारे
में
लिखते rलिखते कलम थक जायगी मगर
उसकी शान
कभी कम न होगी.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...