सियासत
सरकारी अधिकारीयों और कर्मचारियों को ट्रांसफर का डर बताकर ,,,,अपना गुलाम
बनाकर रखती है ,,लेकिन ट्रांसफर को लेकर भी,,, कुछ विधि नियम बने है अगर
अधिकारी ,,कर्मचारी चमचागिरी और चपलुसवाद से ऊपर उठकर जनता की सेवा को
परमोधर्म समझ ले तो फिर उन्हें सत्ता के किसी भी नेता का डर नहीं होता है
,,सरकार चाहे बदले की भावना से किसी भी क़ाबिल अधिकारी को सज़ा के बतौर काले
पानी ही क्यों ना भेज दे ,,,,,,,,,,राजस्थान के एक मात्र मर्द पुलिस
अधिकारी ने विधि नियम के तहत मनमाने ट्रांसफर करने की प्रक्रिया के खिलाफ
दबंगता दिखाते हुए आवाज़ उठाई है ,,,,आई पी एस पंकज चौधरी ,,,जो जनता के
दिलों पर राज करते है ,,पीड़ित ,,शोषित लोग पलक पावणे बिछाकर उनकी आमद का
इन्तिज़ार करते है ,,,लेकिन जनता के हक़ के लिए ईमानदारी से ,,जनता को गुंडों
से प्रोटेक्शन देने वाले ,,,पुलिस अधिकारी पंकज चौधरी ,,,नेताओ और
राजस्थान सरकार की आँख की किरकिरी बन गए है ,,,,,पंकज चौधरी पहले बाड़मेर
पुलिस अधीक्षक रहकर कांग्रेस के एम एल ए के पिता की दादागिरी खत्म करने के
कारण सरकार के कोप भाजन का शिकार बने उन्हें क़ाबलियत के बावजूद ठंडे बस्ते
वाली पोस्टिंग दी गई ,,भाजपा ने इस मामले में ऐतराज़ जताया आंदोलन किया और
जनता की मांग पर सत्ता में आते ही भाजपा ने पंकज चौधरी की क़ाबलियत देखकर
उन्हें बूंदी पुलिस अधीक्षक ,के पद पर नियुक्त किया ,,पंकज चौधरी की
कार्यशैली से जनता खुश लेकिन गुंडे ,बदमाश ,,दलालों के कारोबार बंद
,,लुच्चागिरी खत्म , गुंडाई तत्व जब खुले रूप में हथियार लेकर आमने सामने
का संघर्ष कर खून खराबे को तैयार हुए तो पंकज चौधरी ने ईमानदारी से क़ानून
का डंडा चलाया अपराधियों को दोढा दोढा कर पीटा ,,,,,,,,,,,पंकज चौधरी की
इस कार्यवाही से राजस्थान में भहजपा सरकार बढ़ा खून खराबा रुक जाने से
कलंकित होने से बच गई ,,लेकिन पंकज चौधरी को सियासी नाराज़गी का शिकार होना
पढ़ा ,,,नतीजा एक क़ाबिल होनहार अधिकारी का मनोबल तोड़ने और दूसरे अधिकारियों
को अपनी चाकरी में रखने के लिए सरकार ने पंकज चौधरी को फिल्ड पोस्टिंग से
हटकर आर ऐ सी बटालियन दिल्ली में तैनात कर दिया ,,पंकज चौधरी ने वहां भी
ईमानदारी से काम किया तैनात जवानो का दिल जीता उनसे काम लिया तो उन्हें
उनके काम के बदले पुरस्कृत कर उत्साहवर्धन भी किया ,,,,,,राजस्थान में फिर
आई पी एस की ट्रांसफर लिस्ट निकली यहां राजस्थान पुलिस अधिनियम अस्त्तित्व
में है इस अधिनियम के विधिक प्रावधानों के तहत कोई भी ट्रांसफर ,,अधिकारी
या पुलिसकर्मी की क़ाबलियत के आधार पर होगा ,,क़ाबिल अधिकारीयों को फील्ड
पोस्टिंग मिलेगी नाकारा और जिन की शिकायत है उन्हें फील्ड पोस्टिंग नहीं
देंगे ,,लेकिन राजस्थान में इस क़ानून का ध्यान नहीं रखा गया नै लिस्ट में
फिर पंकज चौधरी जैसे क़ाबिल ,,जांबाज़ ,,गरीबों के हमदर्द ,,पुलिस अधिकारी को
अंगूठा दिखाते हुए फील्ड पोस्टिंग नहीं दिया ,,,आम तोर पर सरकार से टकराने
की हिम्मत अधीकरियो की नहीं होती ,,वोह उनके साथ हो रहे ज़ुल्म के बाद भी
खामोश रहते है ,,लेकिन पंकज चौधरी जो दूसरों के ज़ुल्म के खिलाफ उन्हें
इंसाफ दिलाने के लिए बेधड़क होकर लड़ते है ,,उन्होंने अपने साथ हुए इस
विधिविर्रुद्ध अन्याय के खिलाफ जंग का ऐलान किया है ,,,पंकज चौधरी पुलिस
अधिनियम के विधिक प्रावधान के खिलाफ मनमर्ज़ी बंदरबांट वाली इस ट्रांसफर
लिस्ट को केट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती देने को तेह्यर है
,,पंकज चौधरी की इस शेर दिली दहाड़ से सरकार सकते में तो है ,,नतीजा कुछ भी
हो लेकिन पंकज चौधरी के इस विरोध के चलते सरकार को अब नए ट्रांसफर पोस्टिंग
में अधिकारीयों की क़ाबलियत का भी ध्यान रखना पढ़ेगा और अगर सुप्रीमकोर्ट ने
इस मामले में विधि नियम की व्याख्या कर ट्रांसफर लिस्ट निरस्त कर दी तो
सरकार के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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