नई दिल्ली. बॉलीवुड स्टार माधुरी दीक्षित ने मैगी बनाने वाली
कंपनी नेस्ले के अफसरों से मुलाकात की है। माधुरी ने इस बारे में ट्वीट कर
जानकारी दी है। माधुरी ने लिखा, 'ज्यादातर भारतीयों की तरह मैंने बरसों तक
मैगी नूडल्स को पसंद किया है। हाल में आई रिपोर्टों के बाद मैं चिंतित हो
गई थी और इसी वजह से नेस्ले की टीम से मिली। नेस्ले ने मुझे जानकारी दी है
कि वे कंज्यूमर के हित सबसे ऊपर रखते हैं और सबसे अच्छी क्वॉलिटी मेंटेन
करते हैं। नेस्ले ने मुझे आश्वस्त किया है कि वे मैगी की क्वॉलिटी की
टेस्टिंग करते हैं।' हरिद्वार फूड डिपार्टमेंट ने एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित
को नोटिस भेज चुका है। माधुरी को यह नोटिस बतौर ब्रांड एंबेसडर एक प्रचार
में मैगी को हेल्दी बताने के लिए दिया गया। 15 दिन के अंदर नोटिस का जवाब न
देने पर विभाग ने एडीएम कोर्ट में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की बात भी
कही गई है। हरिद्वार के फूड सेफ्टी ऑफिसर दिलीप जैन का कहना है कि आटा मैगी
के एक विज्ञापन में माधुरी ने ये गलत जानकारी फैलाई थी कि इसे खाने से 2
से 3 रोटी खाने के बराबर फाइबर मिलता है। साथ ही, शरीर हेल्दी रहता है। इस
संबंध में जारी नोटिस में माधुरी से पूछा गया है कि उन्होंने किस आधार पर
ये बातें कही हैं?
अमिताभ, प्रिटी और माधुरी के खिलाफ दर्ज हो सकता है केस
शनिवार को बाराबंकी के सीजीएम कोर्ट में एक वकील ने मैगी का विज्ञापन
करने वाले अमिताभ बच्चन, प्रिटी जिंटा और माधुरी दीक्षित के खिलाफ मुकदमा
दर्ज करने के लिए याचिका दायर की। कोर्ट ने इस अर्जी पर सुनवाई की अगली
तारीख 19 जून तय की है।
से एक्सक्लूसिव बातचीत में याचिका दायर
करने वाले वकील संतोष सिंह ने बताया कि मजिस्ट्रेट ने उनका बयान 200
सीआरपीसी के तहत दर्ज कर लिया है। संतोष ने कहा है कि वह इन सितारों के
खिलाफ आईपीसी की धारा 109, 272, 273, 420 के तहत मामला दर्ज कराना चाहते
हैं।
धारा 272 में दोषी पाए जाने पर यूपी में उम्रकैद भी हो सकती है
अगर मैगी का विज्ञापन करने के मामले में अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित
और प्रिटी जिंटा पर आईपीसी की धारा 272 लगी तो उनकी मुसीबतें बढ़ सकती
हैं। यह धारा मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने की प्रक्रिया में शामिल होने से
जुड़ी है। इसके तहत अधिकतम छह महीने की सजा का प्रावधान है। लेकिन उत्तर
प्रदेश ने इसमें संशोधन किए हैं। उत्तर प्रदेश में लगने वाली धारा 272 के
तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम उम्रकैद की भी सजा हो सकती है।
नेस्ले और पांच अन्य पर भी केस
उत्तर प्रदेश फूड सेफ्टी और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (UPFDA) की ओर से
मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया और पांच अन्य पर शनिवार को मुकदमा
दर्ज कराया गया। इनके खिलाफ बाराबंकी के चीफ फूड इंस्पेक्टर वी. के.
पांडे ने एसीजीएम-1 कोर्ट में फूड एंड सेफ्टी एक्ट 2006 की धारा 58 और 59
के तहत मुकदमा दर्ज कराया। जल्द ही कोर्ट की तरफ से सम्मन भेजा जाएगा। इस
मामले में अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी। इस दिन नेस्ले और अन्य पक्ष को
बाराबंकी कोर्ट में पेश होना होगा।
क्यों हुआ मुकदमा
पिछले दिनों यूपी के बाराबंकी जिले से मैगी के 12 अलग-अलग सैंपल लेकर
केंद्र सरकार की कोलकाता स्थित लैब में टेस्ट कराया गया। रिपोर्ट आई तो मैगी
के इन पैकेटों में लेड की मात्रा 17.2 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) पाई
गई है, यह स्वीकार्य सीमा से लगभग सात गुना ज्यादा है। FDA के डिप्टी
इंस्पेक्टर जनरल डीजी श्रीवास्तव के मुताबिक, मैगी नूडल्स में लेड और
मोनोसोडियम ग्लूटामैट (एमएसजी) की मात्रा खतरनाक स्तर पर पाई गई है। लेड
की स्वीकार्य योग्य सीमा 0.01 पीपीएम से 2.5 पीपीएम के बीच है। FDA ने ये
सारी जानकारी एक चिट्ठी लिख FSSAI को दी थी।
हो सकती है सात साल की सजा, 10 लाख रुपए तक जुर्माना
धारा 58 फूड मानकों के उल्लंघन के लिए है। इसमें 2 लाख रुपए तक के
जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, धारा 59 अनसेफ फूड के लिए लगाई जाती है।
इसके तहत दोषियों को अधिकतम 7 साल तक की सजा और 10 लाख रुपए तक जुर्माने का
प्रावधान है।
मुकदमा किनके खिलाफ
वी. के. पांडे ने बताया कि न्यू दिल्ली
ईजीडे, नेस्ले इंडिया प्राइवेट लिमिटेड न्यू दिल्ली और ऊना (हिमाचल प्रदेश)
में कंपनी के दफ्तर, ईजीडे के लाइसेंस धारक साहब आलम और ईजीडे के मैनेजर
मोहन गुप्ता समेत छह पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। सोमवार को कोर्ट इन
सभी को सम्मन भेजेगी।
कोलकाता में टेस्ट का मैगी का दावा झूठा
नेस्ले इंडिया कंपनी द्वारा मैगी के सैंपल को कोलकाता लैब में टेस्ट
करवाने का दावा झूठा साबित हुआ है। कंपनी ने दावा किया था कि उसने मैगी का
एक पैकेट सैंपल जांच के लिए बाराबंकी के फूड ऑफिसर की मदद से कोलकाता की
लैब में भिजवाया था, लेकिन बाराबंकी के फूड सेफ्टी ऑफिसर के मुताबिक कंपनी
ने जांच कराने के लिए कोई आवेदन ही नहीं दिया।
अब तक 80 हजार लोग दे चुके हैं मैगी पर अपनी राय
मैगी से जुड़ी इस खबर पर दैनिक भास्कर के फेसबुक पेज पर 80 हजार से
ज्यादा कमेंट आ चुके हैं। सबसे ज्यादा लोगों ने मैगी में MSG और लेड जैसे
खतरनाक केमिकल होने के बाद भी अब तक सरकार की ओर से इस पर बैन न लगाने पर
सवाल उठाया है। लोगों ने सरकार से पूरे देश में मैगी की जांच की मांग भी की
है।
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