आपका-अख्तर खान

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10 मई 2015

चंचल शीतल निर्मल कोमल.

चंचल शीतल निर्मल कोमल....
संगीत की देवी स्वर सजनी...
सुंदरता की हर प्रतिमा से...
बढ़ कर हे तू सुंदर सजनी....
कहते हे जहा न रवि पहुंचे...
कहते हे वहा पे कवि पहुंचे...
तेरे रंग रूप की छाया तक...
ना रवि पहुंचे ना कवि पहुंचे...
में छूने लगु तू उड़ जाये..
परियो से तेरे पर सजनी.....
चंचल शीतल निर्मल कोमल
संगीत की देवी स्वर सजनी
सुंदरता की हर प्रतिमा से
बड़ कर हे तू सुंदर सजनी..

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