सलमान की सजा के बहाने सुर्खियां लूटने से बाज नहीं आया. वह भारत जैसे भीड़ भरे देश में मजबूरी में फुटपाथ पर साेने वाले असहाय लाेगाें काे कुत्ता कहकर अपमानित कर रहा है.
मुम्बई में आम आदमी के लिए मकान आज भी सपना है. करीब बीस फीसदी लाेग फुटपाथ पर साेते हैं. देश के असंतुलित विकास के चलते राेजगार की तलाश में लाेग देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई आते हैं, कहते हैं कि मुम्बई में लाेग भले ही फुटपाथ पर साेते हाे लेकिन काेई भूखा नहीं साेता है यानी सबकाे कुछ न कुछ राेजगार या काम मिल जाता है.ऐसे लाखाें लाेग हैं जाे खाली जेब मुम्बई पहुंचे आैर बाद में अपनी मेहनत आैर प्रतिभा के बल पर कराेड़पति हाे गए.
करीब 40
साल पहले बच्चन श्रीवास्तव ने साप्ताहिक हिन्दुस्तान में एक लेख लिखा था
जिसमें उन्हाेंने कहा था कि फिल्माें में काम के आकर्षण काे लेकर प्रतिदिन
500 से भी ज्यादा युवक- युवतियां मुम्बई पहुंचते हैं आैर फुटपाथ पर साेकर
शहर का हिस्सा बन जाते हैं. बॉलीवुड के चलते आगे भी मुम्बई का यह चुम्बकीय
आकर्षण बना रहेगा.
सलमान की इस सजा के बहाने फुटपाथ पर साेने वाले की आेर ध्यान गया है ताे अब फडनवीस सरकार सहित समस्त राज्य सरकाराें काे यह संकल्प लेना चाहिए कि काेई आदमी सड़क पर नहीं साेए. बहुमंजिलें डारमेट्रीज टाइप रैन बसेराें का निर्माण किया जाए जाे नाममात्र के किराये पर रात गुजारने की व्यवस्था करें. सांसदाें आैर विधायकाें काे भी अपनी निधि का इस्तेमाल स्थाई रैन बसेराें के निर्माण में करना चाहिए.
सलमान की इस सजा के बहाने फुटपाथ पर साेने वाले की आेर ध्यान गया है ताे अब फडनवीस सरकार सहित समस्त राज्य सरकाराें काे यह संकल्प लेना चाहिए कि काेई आदमी सड़क पर नहीं साेए. बहुमंजिलें डारमेट्रीज टाइप रैन बसेराें का निर्माण किया जाए जाे नाममात्र के किराये पर रात गुजारने की व्यवस्था करें. सांसदाें आैर विधायकाें काे भी अपनी निधि का इस्तेमाल स्थाई रैन बसेराें के निर्माण में करना चाहिए.
कितने सरकारी आवास वक्त की धूल चाट रहे हैं सरकार छाहे तो उन मे रइन बसेरे बन सकते हैं1 बहुत कुछ हो सकता है गरीबों के लिये पर इच्छा शक्ति नही अभीजीत जैसों के कृ्पा से ही इन्हें सडक पर सोना पडता है1
जवाब देंहटाएंAbhijeetji itni bhi chamchagiri thik nahin
जवाब देंहटाएंabhijeetji itni bhi chamchagiri thik nahin
जवाब देंहटाएं