आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

11 मई 2015

काली कमाई का मुंह काला, जयललिता बरी: जज बोले- आय से 10% अधिक संपत्ति चलेगा

बेंगलुरु. अन्नाद्रमुक प्रमुख जे. जयललिता आय से ज्यादा संपत्ति के 19 साल पुराने मामले में सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट से बरी हो गईं। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जस्टिस सी.आर. कुमारस्‍वामी ने स्पेशल कोर्ट द्वारा दोषी करार दी गईं जयललिता और तीन अन्य की संपत्ति जब्त करने के आदेश को भी रद्द कर दिया। उन्‍हें 39 साल पुराने एक केस और स्‍पेशल कोर्ट का फैसला कमजोर होने के आधार पर हाईकोर्ट ने बरी किया। जस्टिस कुमारस्वामी ने कोर्ट आते ही दस सेकंड में फैसला सुना दिया। हालांकि, उनका पूरा फैसला 919 पेज का है।
फैसले की 5 बड़ी बातें
1. हाईकोर्ट ने कहा- जयललिता की आय से अधिक संपत्ति 8.12% थी। यह 10% से कम है जो स्वीकार्य सीमा में है।
2. आंध्र प्रदेश सरकार तो आय से अधिक संपत्ति 20% होने पर भी उसे जायज मानती है, क्योंकि कई बार हिसाब बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है।
3. जो संपत्तियां खरीदी गईं, उसके लिए आरोपियों ने नेशनलाइज्ड बैंकों से बड़ा कर्ज लिया था। निचली अदालत ने इस पर विचार नहीं किया।
4. यह भी साबित नहीं होता कि अचल संपत्तियां काली कमाई से खरीदी गईं। आय के स्रोत वैध पाए गए हैं।
5. निचली अदालत का फैसला कमजोर था। वह कानून की नजरों में नहीं टिकता।
हाईकोर्ट ने दिया कृष्णानंद अग्निहोत्री केस का हवाला
जस्टिस कुमारस्वामी ने अपने फैसले में कहा- ‘कृष्णानंद अग्निहोत्री केस के मुताबिक यह स्थापित नियम है कि जब आय से अधिक संपत्ति का अनुपात 10% तक हो तो आरोपी बरी होने का हकदार है। यही नहीं, आंध्र प्रदेश सरकार तो यह सर्कुलर जारी कर चुकी है कि अगर आय से अधिक संपत्ति 20% तक हो तो वह भी स्वीकार्य सीमा कहलाएगी। इस तरह 10% से 20% तक की ज्यादा संपत्ति भी आंकड़ों की बढ़ा-चढ़ा कर गणना होने के कारण स्वीकार्य मान ली गई है।’ बता दें कि कृष्णानंद अग्निहोत्री के खिलाफ मध्यप्रदेश सरकार ने 1976 में आय से अधिक संपत्ति का केस चलाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चूंकि ऐसी संपत्ति 10% से भी कम है, इसलिए अग्निहोत्री को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अग्निहोत्री इनकम टैक्स अफसर थे। 1949 से 1962 के बीच अग्निहोत्री की आमदनी 1.27 लाख थी। इस दाैरान उनकी संपत्ति में 11 हजार रुपए का इजाफा हुआ। जाे कुल आमदनी से 10% से कम पाया गया। लिहाजा वे बरी हो गए।
हाईकोर्ट का फॉर्मूला : कहा- 8.12% ही ज्यादा थी जयललिता की आय से अधिक संपत्ति
हाईकोर्ट जज ने कहा- जयललिता के कपड़ों, चप्पल और अन्य चीजों का मूल्य मायने नहीं रखता, फिर भी मैं इसे संपत्ति के आकलन में से कम नहीं करूंगा। लेकिन प्रॉसिक्यूशन ने आरोपी की निजी संपत्ति, कंपनियों की संपत्ति, कंस्ट्रक्शन का 27.79 करोड़ का खर्च और सुधाकरण की 1995 में हुई शादी का 6.45 करोड़ रुपए का खर्च कुल संपत्ति के मूल्य में शामिल कर लिया। कुल संपत्ति 66.44 करोड़ रुपए की बताई गई। अगर हम कंस्ट्रक्शन और शादी के बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए गए खर्च काे घटा दें तो संपत्ति का मूल्य 37.59 करोड़ रुपए आता है। आरोपियों की निजी आय और कंपनियों की आमदनी मिलाकर 34.76 करोड़ रुपए होती है। अंतर 2.82 करोड़ रुपए का है। यह आमदनी के मुकाबले 8.12% ही ज्यादा बैठता है।
‘सबूत नहीं मिले कि संपत्तियां काली कमाई से खरीदी गईं’
जस्टिस कुमारस्वामी ने कहा- निचली अदालत ने जयललिता द्वारा सुधाकरण की शादी का खर्च 3 करोड़ रुपए बताया लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है जो कहता हो कि खर्च 3 करोड़ रुपए का हुआ था। निचली अदालत ने इंडियन बैंक से जयललिता द्वारा लिए गए कर्ज को उनकी आमदनी में शामिल नहीं किया। यह भी साबित नहीं होता कि अचल संपत्तियां काली कमाई से खरीदी गईं। जबकि ये संपत्तियां खरीदने के लिए नेशनलाइज्ड बैंकों से बड़ा कर्ज लिया गया था। आय के स्रोत वैध पाए गए हैं। इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि साजिश कर आमदनी इकट्ठा की गई थी।
मुकदमे में लगाए गए थे ये आरोप
1996 में तत्कालीन जनता पार्टी के नेता और अब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मुकदमा दायर कर आरोप लगाया था कि जयललिता ने 1991 से 1996 तक सीएम पद पर रहते हुए 66.44 करोड़ रुपए की बेहिसाब संपत्ति इकट्ठा की थी। जब मामला बेंगलुरू की स्पेशल कोर्ट में पहुंचा तो प्रॉसिक्यूशन ने जयललिता की संपत्ति का ब्योरा दिया। कहा- जयललिता, शशिकला और बाकी दो आरोपियों ने 32 कंपनियां बनाईं जिनका कोई कारोबार नहीं था। ये कंपनियां सिर्फ काली कमाई से संपत्तियां खरीदती थीं। इन कंपनियों के जरिए नीलगिरी में 1000 एकड़ और तिरुनेलवेली में 1000 एकड़ की जमीन खरीदी गई। जयललिता के पास 30 किलोग्राम साेना, 12 हजार साड़ी थीं। उन्होंने दत्तक बेटे वी.एन. सुधाकरण की शादी पर 6.45 करोड़ रुपए खर्च किए। अपने आवास पर एडिशनल कंस्ट्रक्शन पर 28 करोड़ रुपए लगाए।
जयललिता की ये थी सफाई
स्पेशल कोर्ट ने अपने फैसले में सुधाकरण की शादी पर हुए खर्च को 6.45 करोड़ रुपए के बजाय 3 करोड़ रुपए करार दिया। लेकिन जब मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो जयललिता के वकील बी. कुमार ने बताया कि सुधाकरण की शादी पर 29 लाख रुपए ही जयललिता ने खर्च किए थे। एडिशनल कंस्ट्रक्शन पर 13 करोड़ रुपए नहीं, सिर्फ 3 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। प्रॉसिक्यूशन ने हर तरह के खर्च और संपत्ति की राशि बढ़ाचढ़ाकर बताई। कुल संपत्ति तय करते वक्त खेती के चलते 5 साल में हुई 50 लाख रुपए की आमदनी को नजरअंदाज किया गया। बचाव पक्ष के वकीलों ने यह भी कहा कि जयललिता जिन कंपनियों का हिस्सा नहीं थीं, उनके कारोबार के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
फैसले के बाद जयललिता बोलीं- मैं खरा सोना, सरकारी वकील ने कहा- नहीं रखने दी दलीलें
आय से अधिक संपत्ति मामले में हाईकोर्ट से बरी होने के बाद एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता ने अपने खिलाफ इस मामले को विपक्षी दल डीएमके की साजिश बताया है। उधर, सरकारी वकील का कहना है कि उनके पास पूरे सबूत थे, लेकिन उन्‍हें जयललिता के खिलाफ दलीलें रखने का पूरा मौका ही नहीं दिया गया।
सरकारी वकील का दावा- जयललिता के खिलाफ दलीलें पेश करने का मौका नहीं मिला
अन्नाद्रमुक प्रमुख जे. जयललिता के कर्नाटक हाईकोर्ट से महज 10 सेकंड में बरी हो जाने के मामले में नया मोड़ आता दिख रहा है। इस मामले में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बी.वी. आचार्य हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश नजर आ रहे हैं। आचार्य ने बेहिसाब संपत्ति रखने के मामले में जयललिता के खिलाफ कर्नाटक सरकार की तरफ से पैरवी की थी। आचार्य ने सोमवार को फैसले के बाद कहा, "कर्नाटक सरकार इस मामले में अकेली प्रॉसिक्यूटिंग एजेंसी थी। लेकिन हाईकोर्ट में हमें दलीलें रखने का उचित मौका नहीं मिला।"
‘पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के बिना चलती रही कार्यवाही’
आचार्य ने कहा, "कर्नाटक सरकार और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के तौर पर मुझे हाईकोर्ट में मौखिक दलीलें रखने का मौका नहीं मिला। इससे प्रॉसिक्यूशन के केस के साथ गंभीर रूप से पक्षपात हुआ। हमारा केस कमजोर हाे गया। आरोपियों के वकील तो दो महीने तक दलीलें रखते रहे। उस वक्त कर्नाटक सरकार की तरफ से कोई पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ही नहीं था। इस वजह से पूरी कार्यवाही कानूनन नियुक्त पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के बिना ही हो गई। मुझे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 22 अप्रैल को स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनाया गया। आदेश में कहा गया था कि मुझे एक दिन में लिखित दलीलें पेश करनी होंगी। लिहाजा, मौखिक दलीलें देने का मौका ही नहीं था।"
‘हमारे पास थे पर्याप्त सबूत’
हाईकोर्ट के फैसले के बाद बेंगलुरु में मीडिया को दिए बयानों में आचार्य ने यह भी कहा कि जयललिता के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए प्रॉसिक्यूशन के पास पर्याप्त सबूत थे। नेचुरल जस्टिस के मुताबिक, कर्नाटक सरकार को इस मामले में अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए था। यह भी समझ नहीं आया कि कोर्ट ने इस बारे में कैसे नहीं सोचा कि प्रॉसिक्यूशन का पक्ष जाने बगैर अपील पर सुनवाई नहीं हो सकती थी।
जयललिता के खिलाफ केस से कब जुड़े आचार्य
जयललिता के खिलाफ बेहिसाब संपत्ति रखने का केस दिसंबर 2003 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर तमिलनाडु से कर्नाटक ट्रांसफर कर दिया गया। 19 फरवरी 2005 को आचार्य स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बन गए। 2011 में वे एडवोकेट जनरल बना दिए गए। अगस्त 2012 में उन्होंने इस केस के प्रॉसिक्यूटर के रूप में इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपनी बीमारी और लोकायुक्त में अपने खिलाफ दर्ज ‘फर्जी’ मामलों को इसकी वजह बताया। फरवरी 2013 में कर्नाटक सरकार ने भवानी सिंह को प्रॉसिक्यूटर बनाया। लेकिन एक द्रमुक सांसद की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सिंह की नियुक्ति रद्द कर दी। इस तरह आचार्य दोबारा इस केस में सरकारी वकील बन गए।
जयललिता ने कहा- मैं खरा सोना
‘अम्मा’ के नाम से मशहूर जया ने कहा, "यह मुझे व्यक्तिगत और राजनीतिक रूप से बर्बाद करने लिए डीएमके द्वारा रची गई साजिश थी। तमिलनाडू के लोगों ने मेरे प्रति जो प्यार और विश्वास दिखाया है, मैं उसके लिए लोगों और भगवान को धन्यवाद देती हूं। दरअसल, मेरा बरी होना तमिलनाडु की ही जीत है। मैं फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हूं, क्योंकि मेरे खिलाफ जो आरोप लगाए गए थे, वे बदले की राजनीति से प्रेरित थे। इस लड़ाई में धर्म की जीत हुई है। मैं उन 233 पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए दुखी हूं, जिन्होंने मुझे सजा सुनाए जाने के बाद जान दे दी थी। इस फैसले के बाद मुझे ऐसा लग रहा है जैसे सोना आग में तपकर और भी निखर जाता है, वैसे मैं भी हो गई। यह फैसला उन लोगों के लिए करारी हार है जो मेरी और एमजीआर की इमेज खराब करना चाहते थे।"
सुब्रमण्यम स्वामी बोले, फैसला उम्मीदों के विपरीत
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के आय से ज्यादा संपत्ति मामले में बरी होने पर शिकायतकर्ता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने दैनिक भास्कर डॉट कॉम से कहा कि हाईकोर्ट का फैसला उम्मीद के विपरीत है। स्वामी ने कहा, "अभी मैंने फैसले की कॉपी नहीं देखी है और इसके बाद ही पता चल पाएगा कि आखिर क्या कमियां रह गईं। उन्होंने कहा कि सेशंस कोर्ट ने सबूतों के आधार पर ही जयललिता को सजा दी थी और अब हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। हाईकोर्ट के फैसले में कोई टेक्निकल ग्राउंड भी हो सकता है, यह पूरा फैसला पढ़ने के बाद ही पता चलेगा।" उनसे जब यह पूछा गया कि क्या वह इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो स्वामी ने कहा कि पहले हम कर्नाटक सरकार के फैसले का इंतजार करेंगे और अगर कर्नाटक सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं जाती है तो फिर वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
करुणानिधि ने कहा, यह अंतिम फैसला नहीं
जया के कट्टर राजनीतिक विरोधी और डीएमके चीफ करुणानिधि ने कहा, "आज जो भी फैसला सुनाया गया है वह अंतिम नहीं है। उन्होंने कहा कि जया के खिलाफ पूरे सबूत पेश नहीं किए गए। करुणानिधि ने कहा, "मेरा यकीन महात्मा गांधी के उन शब्दों में है, जिनके अनुसार किसी भी अदालत के फैसले से बड़ी चीज हमारी अंतरात्मा की आवाज होती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...