चंडीगढ़। नेताजी
सुभाष चंद्र बोस के बाद अब शहीद भगत सिंह के परिवारवालों की जासूसी का
मामला सामने आया है। भगत सिंह से आठ साल छोटे भाई फ्रीडम फाइटर कुलबीर सिंह
की जासूसी उनकी मौत के दिन तक होती रही। बाद में कुलबीर के बेटे अभय सिंह
संधू और उनके परिवार की जासूसी होती रही। ये जासूसी कभी घरेलू नौकर तो कभी
पुलिस के लोगों को भेजकर करवाई गई। कुलबीर सिंह की मौत के बाद भी लगातार 10
साल तक रोजाना उनके घर के बाहर जासूसी के लिए आदमी बिठाया गया। कारण ये कि
उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया था। ये आरोप कुलबीर
सिंह के बेटे अभय सिंह संधू ने लगाए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से शहीद
भगत सिंह समेत सभी शहीदों से जुड़े हर दस्तावेज डी-क्लासिफाई करने और
आरटीआई में लोगों को देने की मांग की है। जासूसी के इस खेल का अभय सिंह ने सिलसिलेवार ब्योरा कुछ यूं दिया...
अभय ने कहा, 1962 में पिताजी (कुलबीर) के फिरोजपुर से चुनाव जीतने के
बाद परिवार की लगातार जासूसी की जाने लगी। उसी दौरान चीन के साथ युद्ध में
भारत की हार के बाद पंजाब सरकार ने केंद्र को चिट्ठी लिखकर जानकारी दी कि
कुलबीर सिंह समेत कई क्रांतिकारी दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ
साजिश रच रहे हैं। फाइल होम मिनिस्टर लाल बहादुर शास्त्री को भेजी गई।
उन्होंने कुलबीर की निगरानी का आदेश दिया था।
अचानक गायब हुआ मेहमान
बात 1982 की है। एक लड़का रिसर्च स्कॉलर बनकर अाया। उसने भगत सिंह और अजीत सिंह पर रिसर्च करने की बात कही। पिताजी ने उसे एक कमरा दे दिया। लेकिन 1983 में जिस दिन पिताजी का निधन हुआ, उसी दिन वह गायब हो गया।
बात 1982 की है। एक लड़का रिसर्च स्कॉलर बनकर अाया। उसने भगत सिंह और अजीत सिंह पर रिसर्च करने की बात कही। पिताजी ने उसे एक कमरा दे दिया। लेकिन 1983 में जिस दिन पिताजी का निधन हुआ, उसी दिन वह गायब हो गया।
मौत के बाद भी 10 साल तक रखी नजर
अभय बताते हैं कि पिता की मौत के 10 साल बाद तक हर रोज आने-जाने वालों
पर नजर रखी गई। फरीदाबाद में घर के पास चाय की दुकान पर सुबह एक आदमी बैठ
जाता व सूरज ढलने के बाद जाता था। किसी को पता ही नहीं चल पाया कि आखिर वो
था कौन। ये सिलसिला 1993 तक चला। फिर फोन टेप होने लगे।
अभय ने कहा, "फिरोजपुर में हमारे घर में नौकर के रूप में भेदिए रखे
गए। पिताजी को आजादी के आंदोलन के दिनों से ऐसे लोगों की पहचान करने की आदत
थी। एक बार पिताजी दिल्ली जाने के लिए ट्रेन में बैठे, लेकिन दूसरी तरफ से
उतर गए। सीआईडी वाले इसकी रिपोर्ट दिल्ली भेज चुके थे। क्योंकि ऐसा हुआ
नहीं था, इसलिए रिपोर्ट देने वाले अफसर की नौकरी पर बन आई। बाद में वह अफसर
हाथ जोड़कर पिताजी के पास पहुंचा कि आइंदा ऐसा न करें, क्योंकि उनकी नौकरी
चली जाएगी। इस पर पिताजी ने वादा किया कि वह जहां भी जाएंगे, इसकी जानकारी
उसे दे देंगे।'
विज का ट्वीट-नेहरू की पूरी नस्ल का ही बहिष्कार करना चाहिए
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अपने ट्वीट को लेकर फिर विवादों
में हैं। उन्होंने पूर्व पीएम स्व. जवाहरलाल नेहरू पर कटाक्ष किया। शनिवार
शाम 4 बजे किए ट्वीट में उन्होंने लिखा, सुभाष चंद्र बोस के परिवार की
जासूसी करवाने वाले जवाहरलाल नेहरू की पूरी नस्ल का बहिष्कार कर देना
चाहिए।'
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