आपका-अख्तर खान

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03 अप्रैल 2015

"ख्वाब भी तेरे

"ख्वाब भी तेरे, खंजर तेरा, मंजर तू ही जाने,
तश्वीर मेरी, तक़दीर मेरी, तहरीर मेरी है,
मुद्दई भी तू, मुलजिम भी तू, मुंसिफ भी तू, बस मरा मैं ही हूँ
अब तू क़ातिल को नामजद कर दे ."
----- राजीव चतुर्वेदी

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