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20 अप्रैल 2015

सोनिया गांधी ,,रुंधे गले से ,,,आाँखों में आंसू ,,,,,,किसानो के हक़ के संघर्ष का संकल्प लेकर एक माँ की हैसियत से अपने पीड़ित किसान बेटों को इंसाफ दिलाने के लिए शेरनी की तरह दहाड़ी ,,

देश भर के किसानों की ज़मीन गैरकानूनी तरीके से अधिग्रहण होने से रोकने के लिए ,,देश भर के किसानों को इंसाफ दिलाने के लिए कल दिल्ली की रामलीला मैदान में कांग्रेस की राष्ट्रिय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ,,रुंधे गले से ,,,आाँखों में आंसू ,,,,,,किसानो के हक़ के संघर्ष का संकल्प लेकर एक माँ की हैसियत से अपने पीड़ित किसान बेटों को इंसाफ दिलाने के लिए शेरनी की तरह दहाड़ी ,,,कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने सधे हुए अल्फ़ाज़ों में एक नए अंदाज़ में पहली बार लोगों को शालीनता और प्रभावशाली तरीके से सम्बोधित किया ,,,,,,,सभा को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ,,,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलेट ने भी सम्बोधित किया ,,राहुल गांधी सभा स्थल पर अगर जय जवान ,,जय किसान ,,,कांग्रेस पार्टी ज़िंदाबाद के नारों के साथ कार्यकर्ताओं को जोश में लाकर अपना भाषण शुरू करते तो रैली की फ़िज़ा कई गुना मज़बूत हो जाती ,,रैली में जिस तरह से हरियाणा के हुड्डा समर्थकों ने गुलाबी पगड़ी के नाम पर अपनी उपस्थिति दिखाई वोह क़ाबिले गोर रही लेकिन इन लोगों ने हुड्डा समर्थक होने की वजह से रैली में अशोक तंवर के बोलते वक़्त जो व्यवधान पैदा किया इस अपराध के लिए हुड्डा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं हुई तो भविष्य में फिर ऐसी अनुशासनहीनता पार्टी के कार्यक्रमों में बढ़ेगी ,सभा का संचालन दिग्विजय सिंह ने किया ,,किसान रैली में राजस्थान की ट्रेन को वक़्त पर रेलवे अधिकारीयों ने नहीं पहुंचने दिया ,,रैली के चेयरमेन एक के एन्टोनी ने रैली व्यवस्था में सभा स्थल पर माइक की घटिया व्यवस्था की ,,स्टेज छोटा रखा ,,,टी वी स्क्रीन बीच में लगा देने से लोगों का सीधा संवाद नहीं हो सका ,,,,अव्यवस्था का दौर रहा ,,,गर्मी में पानी नहीं ,,हवा नहीं पंखो की कमी ,,पंखो की खीचतान को लेकर कार्यकर्ताओं में तू तडाक ने खराब माहोल बना दिया जबकि सेवादल के कार्यकर्ताओं को ऐसी व्यवस्थाओ के लिए खड़ा किया जा सकता था ताकि आदरणीय राहुल गांधी ,,श्रीमती सोनिया गांधी के भाषण के वक़्त रचनात्मक सोच के साथ कार्यकर्ता कुर्सियों पर बैठ कर उन्हें सुसंते और रैली के अधिकतम सकारात्मक परिणाम सामने आते ,,,,रैली के लिए भीड़ जुटाने के लिए सभी राज्यों के ज़िलाअध्यक्षों ,,पूर्वमन्त्रियों को टारगेट देकर ज़िम्मेदारी के साथ साधन उपलब्ध कराये जाते तो यह संख्या पांच लाख से ऊपर पहुंच सकती थी ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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