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14 अप्रैल 2015

,देश के मशहूर मारूफ शायर भाई जिया टोंकी में बखूबी होने से यह उर्दू अदब के एक हस्ताक्षर बन चुके है

एक शख्सियत जिसमे बेहिसाब खुबिया ,,,,अल्फ़ाज़ों को शायरी में ढालकर ,,लोगों को लुभाकर,, वाह लूटने का हुनर ,,,मिलनसारी ,,लोगों के दुःख दर्द बांटने का जज़्बा ,,,देश के मशहूर मारूफ शायर भाई जिया टोंकी में बखूबी होने से यह उर्दू अदब के एक हस्ताक्षर बन चुके है ,,,जिया टोंकी की परवरिश राजथान में नवाबों की अदबी नगरी ,,टोंक में हुई है ,,जहां इन्होने तहज़ीब सीखी ,,लोगों का दिल जीतना सीखा ,,,और फिर जयपुर उर्दू साहित्य में मास्टर डिग्री लेकर ,,, वेद विशारद ,,फिर बी यू एम एस कर डॉक्टरेट की डिग्री हाँसील की ,,पढ़ने का शोक इन्हे लगातार रहा इन्होने अरबी फ़ारसी में भी मास्टर डिग्री लेकर खुद को साहित्यिक समझ में मज़बूत बना लिया ,,,जिया टोंकी वैसे तो किसी परिचय के मोहताज नहीं देश के हर कोने में ,,हर छोटे बढ़े शहर में जिया टोंकी की ग़ज़लों ,,नज़्मों ,,हम्दो नात की गूंज है ,,,,,इनके मिसरों पर लगातार दाद मिलती है तो मुक़र्रर ,,मुक़र्रर की गूंज के साथ इनके प्रशंसक इन्हे बार बार सुनने की ख्वाहिश ज़ाहिर करते है ,,,,,,,,,जिया टोंकी जो एक डॉक्टर है ,,आलिम है फ़ाज़िल है ,,,उन्होंने दुनिया के हर पहलु को छुआ है ,,वोह दर्द की शायरी भी करते है तो मिलने ,,बिछड़ने और यादों में तड़पने की कहानी भी चंद अल्फ़ाज़ों में बयान करते है ,,,,,,,उनकी नज़्म ,,उनकी ग़ज़ल में फलसफा होता है ,,एक सीख होती है ,,एक जज़्बा होता है ,,,,सामाजिक सरोकार होता है ,,ज़िंदगी इनके अल्फ़ाज़ों में शामिल होती है ,,यही वजह है के जिया टोंकी भारत में ही नहीं विश्व में अपनी शायरी के लिए मशहूर है ,,,इसीलिए दुबई ,,लंदन ,,न्यूयार्क ,,करांची ,,बैंकोक सहित कई दर्जन देशों में इनकी आवाज़ बुलंद है और उनकी चाहत पुकार लोगों में बनी हुई है ,,,आप अख़बारों में मेग्ज़ीनों में छपते है ,,,,,हिन्दुस्तान में ही नहीं ,,पाकिस्तान ,,अरब ,,लंदन ,,अमेरीका के अख़बारों में भी आपकी मक़बूलियत की छाप बनी हुई है ,,,,,,,,,,जिया टोंकी जितना अच्छा लिखते है ,,,जितना अच्छा बोलते है ,,इतने ही अच्छे इंसान है ,,,,,,इनकी मक़बूलियत इनकी शोहरत ,,इन्हे सामाजिक सरकारों से जोड़कर लोगों की मदद का जज़्बा भी पैदा करती है ,,जिया टोंकी ,,टोंक की एक रोशनी है जिसने उर्दू अदब ,,साहित्य की शक्ल में पूरी दुनिया को रोशन करके रख दिया है ,,,,,,एक बेहतर शायर ,,चिंतक ,,विचारक ,,समाजसेवक के साथ इनकी निजामत यानी संचालन भी दिल की गहराइयों को छूने वाला है ,,,इनकी तक़रीर ,,इनकी निर्भीकता ,,इनके लाजवाब तर्क के आगे सभी विश्लेषक लाजवाब हो जाते है और इसीलिए डॉक्टर जिया टोंकी जो अदब ,,साहित्य के मंचो पर शायर का एक चेहरा नज़र आते है वोह बार बार अलग अलग टीवी चैनलों पर कभी परिचर्चा में तो कभी खुद एंकरिंग करते हुए नज़र आते है ,,,बहुमुखी प्रतिभा के धनि भाई जिया टोंकी के साथ अगर इन्हे हमसफ़र बनाकर कोई लम्बा सफर भी करना पढ़े तो अल्लाह की क़ुदरत है के वोह सफर यूँ ही चलते चलते मुस्कुराते गुज़र जाता है ,,और यादें शेष रह जाती है ,,,कुछ खुशनुमा यादे जो ग़ज़ल को लिखती भी है तो हाथो से सजा संवर कर ग़ज़ल को छूती भी है ,,अपनेपन का अहसास भी दिलाती है ,,,,,,,,,,,,,,,,,नवाबो की नगरी ,,अदब आदाब ,,तहज़ीब की नगरी टोंक की यह शख्सियत उर्दू अदब के फरोग के लिए चिन्तितं है ,,उर्दू अदब को इंक़लाबी तोर पर ज़िंदा रखने की कोशिश में जंग लड़ रहे है ,,,ऐसे में अगर राजस्थान उर्दू अदब के चेयरपर्सन के रूप में अगर इनको मौक़ा मिले तो राजस्थान के उर्दू अदब से जुड़े लोग बाग़ बाग़ हो जाएंगे और उर्दू जुबां ,,जो हाशिये पर आई है वोह अख़बारों की सुर्खियां भी होगी ,,लोगों के दिलों की जीतने का एक ज़रिया भी होगी ,,राजस्थान की जो योजनाये ,,जो कल्याणकारी काम काज ,,जो लोगों की हमदर्दी है वोह उर्दू से जुड़े लोगों को एक बेहतर अंदाज़ में मरी हुई उर्दू को ज़िंदगी देकर तरो ताज़गी देकर राजस्थान के लोगों तक पहुंचा कर सरकार की खामिया भी बताएंगे तो खुबिया बताकर उर्दू के जानकारों में जो सरकार के खिलाफ गलत फ़हमिया है वोह भी दूर हो पाएंगी ,,,,,,,,,,,,ऐसी शख्सियत ,,ऐसी साहित्यिक प्रतिभा ,,आलिम जिया टोंकी को मेरा सलाम ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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