जालंधर (पंजाब)। नेशनल पोटैटो रिसर्च स्टेशन जालंधर ने आलू को
सुखाकर लंबे समय तक रखने का तरीका खोजा है। रिसर्च प्रमुख डॉ. जोगिंदर
मिन्हास ने बताया कि जिस तरह दलहन को डिब्बों में लंबे समय तक रखा जाता है।
उसी तरह खास तरीके से सुखाकर आलू के लच्छे या टुकड़े भी रख सकते हैं।
इन्होंने इसका पेटेंट हासिल कर लिया है।
डॉ. मिन्हास ने बताया कि बिजली खर्च कर महीनों कोल्ड स्टोरेज में आलू
रखे जाते हैं। इसलिए आलू को सुखाने की तरकीब हमने सोची। देसी तरीके से आलू
सुखाने पर अंदर का एक हिस्सा सख्त बन जाता है। पकने पर यह कंकड़ जैसा चुभता
है। हमने इसे दो हिस्सों में खास तरकीब से सुखाया। भिगोने पर यह फिर से
आलू की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा और स्वाद भी वही मिलेगा। इस तरकीब के
लिए डॉ. मिन्हास, प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. आशिव मेहता और तकनीशियन योगेश
गुप्ता के नाम पेटेंट रजिस्टर हो गया है। अब इसका व्यावसायिक लाइसेंस दिया
जा रहा है। रिसर्च सेंटर पर ऐसे तैयार होते हैं आलू।
ऐसे आलू की फसल 8 गुना ज्यादा
बिना मिट्टी की फसल लेने के लिए थर्मोकोल की पतली चादरों में पौधे
रोपिए, जड़ें नीचे हवा में बढ़ेंगी। 16 जरूरी तत्वों वाले घोल से सिंचाई
होगी। मिट्टी से आठ गुना पैदावार अधिक मिलेगी। फसल भी बीमारीमुक्त। इस
एयरोपोनिक तकनीक के इंचार्ज डॉ. सुखविंदर चाहल कहते हैं- हमारा संस्थान कई
कंपनियों को यह तकनीक दे चुका है। पांच साल में यह आलू की खेती में नई
क्रांति ला देगी।
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