अजमेर. तस्वीर राजस्थान में भीलवाड़ा के नंदराय गांव की है।
प्रशासन के दावे के बावजूद सोमवार को यहां बाल विवाह हुए। लोगों ने पुलिस
कार्रवाई से बचने के लिए घरों पर नहीं, खेतों पर मासूम बच्चों के फेरे
करवाए। न सिर्फ भीलवाड़ा बल्कि राज्य के कई जिलों में बाल विवाह होने की
खबरें हैं। मंगलवार को अक्षय तृतीया है। राजस्थान में इस दिन बड़ी संख्या
में बाल विवाह होते हैं।
बाल विवाह रोकने के लिए सरकार ने कई इंतजाम किए हैं। प्रदेश में
सोमवार को चार जगह बाल विवाह रुकवाए गए और कई जगह परिजनों को चेतावनी दी
गई। इन प्रयासों के बावजूद राजस्थान में हर साल एक फीसदी बाल विवाह ही
रोकने में कामयाबी मिल पा रही है। यूनिसेफ बाल विवाह विशेषज्ञ डोरा
गियूस्टी ने कहा था कि दो दशक में बाल विवाह की संख्या में कमी आई है,
लेकिन यह प्रतिवर्ष एक फीसदी ही है। इस प्रकार बाल विवाह रोकने की
प्रक्रिया इतनी धीमी है कि पूरी तरह से बाल विवाह खत्म करने में करीब 50
साल लगेंगे।
यूनिसेफ की दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक सर्वाधिक बाल विवाह राजस्थान में
होते हैं। पिछले पांच साल में प्रदेश में महज 8 हजार बाल विवाह रुकवाए जा
सके। प्रदेश में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अनुसार 16 जिले ऐसे हैं
जहां बाल विवाह काफी संख्या में होते हैं। यानी सालाना जितनी शादियां होती
है उनमें बाल विवाह का प्रतिशत अन्य जिलों की तुलना में बेहद अधिक हैं। ये
जिले हैं भीलवाड़ा, राजसमंद, सवाई माधोपुर, टोंक, झालावाड़, दौसा, बूंदी,
चित्तौडगढ, दौसा, अजमेर, करौली, बारां, अलवर, नागौर, उदयपुर और प्रतापगढ़।
शर्मसार करने वाला रिकॉर्ड
> यूनिसेफ के अनुसार राजस्थान में सबसे ज्यादा बाल विवाह।
> देश में 47 फीसदी लड़कियों की शादी 18 की उम्र से पहले हो जाती है
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