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14 मार्च 2015

भारत में रोज बिकता है 61 लाख किलो गौमांस, पाकिस्तान तक होती है तस्करी


मुंबई/नई दिल्ली. 19 साल लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार महाराष्ट्र सरकार गौवंश हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने में कामयाब हुई। राज्य में गौ हत्या 1976 से प्रतिबंधित है, अब बैल-बछड़े की हत्या भी गैरकानूनी है। इस तरह देश के 29 राज्यों में से 24 में गौहत्या पर प्रतिबंध है। लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट दूसरा पहलू उजागर करतीं हैं। झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पंजाब में प्रतिबंध के बावजूद गायों की हत्या की जा रही है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान में गायों की हत्या के मामले तो सामने नहीं आए हैं, लेकिन यहां गौ-तस्करी होती रहती है। बिहार में गौवंश हत्या प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन यहां गैर-लाइसेंसी बूचड़खानों में अवैध गौहत्या होती है। पाकिस्तान के एक प्रतिनिधिमंडल के अनुसार पाकिस्तान में कटने वाले 70 फीसदी पशु भारत से ही आते हैं।
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हालात यह हैं कि बीते चार साल में भारत में बीफ यानी गाैवंश और भैंस के मीट की खपत में करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2011 में बीफ की खपत 20.4 लाख टन थी, जो 2014 में बढ़कर 22.5 लाख टन हो गई है। इसके विपरीत पशुगणना के अनुसार देश में गौवंश की संख्या में 2007 के मुकाबले 2012 में 4.1 प्रतिशत की कमी आई है। इसमें भी देशी गौवंश की संख्या में करीब 9 प्रतिशत की कमी आई है। इस दौरान नर भैंसों की संख्या में 18 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। वहीं, हरियाणा सरकार विधानसभा के चालू बजट सत्र में ऐसा कानून लाने जा रही है जिसमें गौहत्या करने वाले व्यक्ति को दस साल की सजा का प्रावधान होगा। भारत ने पिछले वर्ष 19.5 लाख टन बीफ का निर्यात किया। भारत बीफ निर्यात में विश्व में नंबर 2 पर है। पिछले छह महीने में बीफ निर्यात में 15.58 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

राज्यसभा की कमेटी ऑन पिटिशन्स में जैनाचार्य संत विजय रत्नसुंदर सूरीश्वर महाराज ने बीफ निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग करते हुए मीट एक्सपोर्ट पॉलिसी के खिलाफ रिव्यू पिटीशन लगाई थी। उन्होंने तर्क रखा कि भारतीय कानून के मुताबिक जवान और स्वस्थ पशुओं काे बूचड़खाने में कत्ल नहीं किया जा सकता है। भारत से जिन देशों को बीफ निर्यात किया जाता है, वहां जवान और स्वस्थ पशुओं का आयात ही मंजूर होता है। ऐसे में या तो भारत में कानून का उल्लंघन हो रहा है या दूसरे देशों में। जैन संत के अनुसार, सिर्फ बांग्लादेश सीमा पर ही 20 हजार गौवंश की प्रतिदिन तस्करी होती है।

विहिप का रोजाना 50 हजार गायों की हत्या का दावा

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय गौ रक्षा प्रमुख खेमचंद शर्मा दावा करते हैं कि देश में प्रतिदिन 20 से 25 हजार गाय या गौवंश पकड़ा जा रहा है जबकि 50 हजार गायों की रोजाना हत्या की जा रही है। दूध उत्पादन पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। नेशनल कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन सुभाष चंद्र माण्डगे बताते हैं कि देश में वर्ष 2013-14 तक 13.75 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ। वर्ष 2021-22 तक इसे 20 करोड़ टन प्रतिवर्ष पहुंचाना है। दुधारू पशुओं की हत्या के कारण यह लक्ष्य हासिल करना कठिन हो रहा है। दुधारू पशुओं की हत्या से देश में प्रतिदिन 80 से 85 लाख लीटर दूध की क्षति हो रही है। इसमें 30 से 35% हिस्सेदारी गाय के दूध की होती है।

राज्यसभा में महाराष्ट्र में गौवंश हत्या पर रोक का विरोध तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने किया। उन्होंने कहा कि गौवंश के मांस पर प्रतिबंध लगाना संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ है। देश में ईसाई, मुसलमान, हिंदू दलित समुदाय सहित पूर्वोत्तर भारत में यह खाया जाता है। सार्वजनिक रूप से नहीं तो घर में तो खाने की छूट मिलना ही चाहिए। आतंकवादी गतिविधियों और सेक्सुअल हरासमेंट की सजा से अधिक गौवंश का मांस रखने पर है। यह गलत है।

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