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26 मार्च 2015

आप से मिलिए आप है कोटा संभाग का गौरव ,,ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चेलेंज 4 के विजेता ,,सुरेश अलबेला,

दोस्तों , आप से मिलिए आप है कोटा संभाग का गौरव ,,ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चेलेंज 4 के विजेता ,,सुरेश अलबेला,,जिनके नए हास्य ,,नए अंदाज़ को पुरे देश ने सराहा और ,लॉफ्टर शो के जजेज़ को ऐसा भाया के इन्हे गले लगाकर सर्वोच्च सम्मान देना ही पढ़ा ,,,,सुरेश अलबेला ,,यूँ तो सवाई माधोपुर चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र में जन्मे ,,लेकिन इनके पिता पुलिस महकमे में होने से कोटा और खासकर मेरे मोहल्ले सूरजपोल ,,केथूनीपोल में ही सुरेश अलबेला का बचपन गुज़रा ,,सुरेश ने कोटा से बी ऐ की डिग्री पास की लेकिन जब तक सुरेश से सुरेश अलबेला बन चुके थे ,,हमेशा कुछ नया करने की उमंग थी ,,बात चीत के लहजे में हास्य था ,,व्यंग्य था ,,अल्फ़ाज़ों में रिधम ,,रदीफ़ ,,काफिये का तालमेल था ,,अल्फ़ाज़ों में फलसफा ,,,मौसीक़ी ,,तंज़ो मज़ाह ,,रवानगी थी इसीलिए जो भी लिखते जो भी बोलते एक नया अंदाज़ बनता गया ,,पहले दोस्तों में ,,परिवार में ,,फिर छोटे छोटे कार्यक्रमों में फिर तो पुरे देश के ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चेलेंज शो के चौथे एपीसोड के विजेता बन गए ,,सुरेश अलबेला देश भर के लॉफ्टर शो विजेता तो बने लेकिन कोई अहंकार नहीं ,,बस अपनी लेखनी अपनी व्यंग्य विधा से लोगों को हँसते हँसते सुधारने की कोशिशों में जुट गए ,,,सुरेश ,,,,सुरेश से सुरेश अलबेला बने ,,पुलिस विभाग में पले बढे सुरेश को संस्कार भी पुलिस में रहकर भी इनके पिता ने ईमानदारी ,,वफादारी ,,,,इन्साफ के दिए और यक़ीनन सुरेश अलबेला भी अपने अल्फ़ाज़ों से यही सब कार्यवाही आगे बढ़ा रहे है ,,उनका कविता कहने का अंदाज़ ,,उनकी छोटी छोटी तुकबन्दी ,,ताली बजाने का अंदाज़ कुछ ऐसा है के लोगों को भा जाता है और सुरेश अलबेला हास्य व्यंग्य साहित्य की दुनिया में हिट होकर ज़िंदाबाद हो जाते है ,,,इन्हे वर्ष दो हज़ार नो में सुरेलिया साहित्य सम्मान से भी सम्मानित किया गया ,,देश भर के ढेरों सम्मान ,,ढेरो साफेबन्दी ,,ढेरों पुरस्कार ,,लेकिन सुरेश अलबेला देश के हालातों से संतुष्ठ नहीं वोह जब भी देश में भ्रष्टाचार के क़िस्से चलते है तो आहत होते है ,,किसी महिला पर अत्याचार या फिर किसी पीड़िता से बलात्कार होता है तो सुरेश अलबेला तड़प जाते है वोह देश की सीमाओ की सुरक्षा के प्रति चिंतित है ,,देश के हालातों को बदलना चाहते है ,,देश में अमन ,,चेन ,,सुकून ,,शांति ,,सद्भावना पैदा कर युवाओ के लिए सुरक्षा और रोज़गार के अवसर देखना चाहते है ,,वोह बहानेबाज़ी ,,बेईमानी ,,धोखेबाज़ी वाली सियासत से खफा है ,,इसीलिए देश को कुछ मिले यह सोचकर पिछले चुनाव में सुरेश अलबेला देश के वर्तमान प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित थे ,,वोह नरेंद्र मोदी की साफ़गोई ,,उनकी जादुई भाषण शैली ,,कुछ कर गुज़रने के जज़्बे में जज़्बाती हुए और नरेंद्र मोदी को ज़िंदाबाद कर बेहतर प्रचार भी किया नतीजन नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भी बन गए ,,,सुरेश अलबेला एक साहित्यकार है वोह किसी विचारधारा के गुलाम नहीं बस देश के हालात कैसे सुधरे उसके प्रति चिंतित रहते है ,,यही वजह है के नरेंद्र मोदी सरकार के ज़ीरो रिज़ल्ट के बाद सुरेश अलबेला सदमे में लगते है ,,वोह चाहते है जो वायदे हुए है उन्हें निभाए जाए ,,कालाधन वापस आये तो सीमाये सुरक्षित हो ,,गरीबों को रोटी ,,रोज़गार ,,कपड़ा ,,मकान ,,शिक्षा , चिकित्सा मुफ्त मिले ,,देश तरक़्क़ी करे और इसीलिए उनकी लेखनी में अब थोड़ा बदलाव ,,थोड़ी हंसी के साथ हालातों पर टिप्पणी भी शामिल होने लगी है ,,,,सुरेश ने हज़ारों व्यंग्य लिखे है ,,तत्काल भी व्यंग्य तैयार किये है ,,यह उनकी कुशाग्र बुद्धि का ही सुबूत है ,,हिंदी भाषा के प्रति प्रेम की हद देखिये के एक बार हवाई जहाज़ में जब उन्हें मुंबई जाना था तो हवाईजहाज़ में हिंदी अख़बार नहीं मिलने पर इन्होने हंगामा खड़ा कर दिया ,,शिकायते लिखी और अब इनकी कोशिश है के हवाई सेवा में अंग्रेजी मेगज़ीन ,,अखबारों के साथ हिंदी अख़बार और मेगज़ीन भी आवश्यक रूप से रखवाई जाए ,,,,,,इनका एक हास्य व्यंग्य जो प्रचलित है ,,,,प्रत्क्षनम रक्षम ददामि नारी वस्त्रं समर्पयामि,वस्त्रविहारणी,न्यून वस्त्रधारणी,डील उघाडनी,आदरणिय मल्लिका शेरावत
रात्रीकालीन कुशल सैनानी,अधर रमयामी,नारी वस्त्रं भक्शणामी,लिपस्टिक चट्खामी,महामहिम चुम्बन स्वामी आदरणीय इमरान हाशमी !,,तो भाइयों कोटा के सुरेश अलबेला कोटा के युवाओ के लिए भी शीघ्र ही कोई नयी आदर्श कार्य योजना तैयार कर आपके बीच आने वाले है उनका स्वागत है ,,सत्कार है ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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