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27 दिसंबर 2014

,,में कांग्रेस हूँ में डूबी नहीं में डुबोई गई हूँ

,,में कांग्रेस हूँ में डूबी नहीं में डुबोई गई हूँ ,,आज मेरा स्थापना दिवस है ,,लेकिन में मेरे ही हुक्मरानो की गलतियों बेवकूफियों की वजह से आज ढूंढते रह जाओगे के नारे की तरह तलाश की जा रही हूँ ,,,,चारो तरफ मुझ पर थूका जा रहा है ,,,में हताश निराश हूँ क्योंकि मुझे चलाने वाले मेरी नीतितियों मेरे संवेधानिक नियमों को छोड़कर लुटेरे ,,डकैत ,,साम्प्रदायिक बन गए है ,,मेरा विधान है जिसमे राष्ट्रप्रेम ,, दलित ,अल्पसंख्यक प्रेम लिखा है ,,शराबखोरी के खिलाफ मेरा विधान है ,,,स्वदेशी के खिलाफ मेरी परवरिश है ,,,बढ़ो का सम्मान ,,दलित ,,गरीबों को सम्मान मेने सिखाया है ,,कार्यकर्ताओं और भारतियों की सेवा मेरे विधान में है ,,खादी पहनो ,,ईमानदारी से रहो ,,अपनी कमाई का हिस्सा ,,हिस्सेदारी कांग्रेस में हिसाब देकर शामिल करो ,,,साल में एक हफ्ता कांग्रेस के लोगों के लिए कारसेवा कर जनता का दिल जीतने वाला होता है ,,लेकिन आज कांग्रेस के नेता गरीबों से वोट लेकर लाटसाहब हो गए है कार्यकर्ताओं और जनता को पैर की जूती समझते है ,,,कार्यकर्ताओं से आसानी से नहीं मिलते ,,एक छोटा सा नेता ,,एक मंत्री ,,एक प्रदेश अध्यक्ष खुद राष्ट्रीय पदाधिकारी ,,अध्यक्ष उपाध्यक्ष दूर दराज़ से आये कार्यकर्ताओं को लोटा देते है मिलते नहीं बात नहीं करते ,,संवाद नहीं करते ,,गुटों में बटे है शहरों में तो जाते है सर्किट हाउस या पांच सितारा होटल में लाटसाहब बनकर बैठ जाते है लेकिन कांग्रेस कार्यालयों में नहीं जाते ,,मंत्री कांग्रेस कार्यालय में जनसुनवाई नहीं करते ,,कोंग्रेसी ही कोंग्रेसी को हरा देते है ,,कुछ चिंतन ,,कुछ मंथन पेश है कांग्रेस स्थापना दिवस पर एक कोंग्रेसी दर्द के रूप में बताइये कितना सही कितना गलत है ,,,,
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दोस्तों कहावत है रस्सी जल गयी ,,लेकिन बल नहीं निकला
दोस्तों कहावत है रस्सी जल गयी ,,लेकिन बल नहीं निकला वही कहावत कांग्रेस के साथ आज भी क्रियान्वित हो रही है ,,,कांग्रेस का साम्राज्य देश भर में कोंग्रेसियों की काली करतूतों के कारण ज़मीन में दफन होने लगा है ,,,कांग्रेस पहले केंद्र से फिर राज्यों से अब निकायों से निपट गयी है ,,,इन सब के पीछे कांग्रेस हाईकमान के दरबारियों की चापलूसी ,,चमचागिरी और गलत रिपोर्टिंग तो है ही लेकिन हाईकमान भी बच्चा नहीं है उसे इन हालातों में कुछ बदलाव लाना चाहिए लेकिन वही राजसी ठाठ बाट वाली स्थिति बनी हुई है ,,,,,दिल्ली के राष्ट्रिय कार्यालय 24 अकबर रोड जहां पैर रखने की जगह नहीं हुआ करती थी वहा आज मरघट सी खामोशी ,,तबाही और बर्बादी का सन्नाटा है ,,,,कांग्रेस कार्यालय की केन्टीन वाले जिनकी बिक्री आसमान पर थी आज ज़ीरो पर आ गयी है ,,,,वहां का वही घटिया निज़ाम अव्वल तो राष्ट्रीय स्तर के नेता पार्टी कार्यालय में नहीं आते और जो आते है अधिकतम उनकी पहली तरजीह महिला कार्यकर्ता होती है ,,वही अंग्रेज़ों जैसा हाल बंद दरवाज़े ,,,पर्ची दो इजाज़त लो फिर मिलो यह तो इन प्यादों के हाल है जो हाईकमान के आगे कुत्ते की तरह दुम हिलाते देखे जाते है ,,कार्यकर्ता जो सैकड़ों हज़ारों मील दूर से आता है वोह फ्रस्ट्रेट हो जाता है परेशान हो जाता है उनका नेता उनसे मिलता नहीं नखरे करता है सुनवाई का कोई जनता दरबार नहीं आम कार्यकर्ता तो दूर बढ़े बढ़े शीर्ष स्तर के नेता इन कथित ठेकेदारो को गालिया बकते हुए नज़र आते है क्योंकि इनकी उपेक्षा इनका आचरण बर्दाश्त के बाहर है ,,,यही लाठ साहबी अंदाज़ दस जनपथ और तुगलं लेन रोड पर देखने को मिलता है ,,,,हज़ारो मील दुर से किसी राजय का मंत्री ,,किसी कांग्रेस प्रदेश इकाई का पदाधिकारी ,,विधायक ,,सांसद आत्ता है और लाठसाहबों के सुरक्षाकर्मी उसे अंदर तक नहीं जाने देते ,,,,,क्या फ़र्क़ पढ़ता है अगर यह लोग एक दो मिनट दूर दराज़ से आये लोगों के लिए निकाल ले इनसे तरीके से बात कर ले ,,लेकिन कांग्रेस में यह लाठ साहबी संस्कृति ने कांग्रेस को डुबो तो दिया है ,,इन लोगों के दफ्तर चेंबर में एक बार जो गया और जिसमे ज़मीर ज़िंदा है तो वोह तो फिर इनसे मिलना कभी पसंद ही नहीं करेगा ,,,यही वजह है के अब केंद्र से लेकर राज्यों और निकायों तक कांग्रेस दम तोड़ रही है और मुर्दाबाद खुद इनके कार्यकर्ताओं में होने लगी है बात कड़वी है लेकिन सच्ची है ,,चमचा कार्यकर्ता इसको समझता है महसूस करता है लेकिन डर के मारे कहने की हिम्मत नहीं करता ,,चिट्ठियां लिखता है लेकिन उन्हें कचरापात्र में डाला जाता है ,,सभी परेशान कार्यकर्ता सोचते है बिल्ली के गले में कोन घंटी बंधे तो लो जनाब यह खतरनाक कम यह सच बोलने और लिखने का काम में शुरू करता हु ताके कांग्रेस के लाठ साहब फिर से ज़मीन के लोग सेवक लोग बनकर कार्यकर्ताओं की सुने उन्हें विश्वास में ले उनका सम्मान करे और देश भर में फिर से कांग्रेस मुर्दाबाद से ज़िंदाबाद हो सके ,,देश में लोकसभा की पांच सो चव्वालीस सीटों के लिए हो रहे चुनाव में पार्टियों के प्रत्याक्षी चयन को लेकर मुस्लिम मतदाता जो क़रीब तीन सो से भी अधिक सीटों को प्रभावित करते है वोह असमंजस में है ,,,,,,,,,,,मुस्लिम वोटर के लिए एक तरफ राजस्थान के गोपालगढ़ के क़ातिल है ,,,,मुसलमानो को टाडा ,,पोटा में गिरफ्तारी का डर बताकर देश में उनकी छवि आतंकवादी की छवि बनाने वाली पार्टी कांग्रेस है तो दूसरी तरफ गुजरात की क़ातिल भाजपा है ,,इस पर तुर्रा यह है के दोनों सियासी पार्टियों के प्रचारकों में इस बार मुस्लिम धर्मगुरु ,,,कठमुल्ला रिश्वत लेकर अपंने ईमान ,,मज़हब और शरीयत का सोदा कर कुफ्र का अपराध करने वाले मोलवी मौलाना इनके प्रचारक इन पार्टियों को वोट देने के सिफारिशी बने है ,,,,,इस मामले में एक जगह सियासी चर्चा चल रही थी कांग्रेस के लोग वोटर्स को नरेंदर मोदी के कुख्यात चेहरे का डर बताकर कांग्रेस में वोट डालने की बात कर रहे थे ,,,एक निष्पक्ष मुस्लिम वोटर कोंग्रेसियों से उलझ गया ,,उसका कहना था के चलो नरेंदर मोदी के डर और खौफ के अलावा कोई एक ऐसा कारण गिनाओ जो मुलमान कांग्रेस के पक्ष में वोट डालें ,,आप कहते हो मुसलमानों के सामने मोदी के चेहरे के खिलाफ कांग्रेस को वोट देने के आलावा कोई दुसरा विकल्प नहीं है ,,तो बताइये कांग्रेस ने ऐसा क्या कर दिखाया जो मोदी नहीं चाहता ,,,,,,,,,,,,,थोड़ी बहस के बाद निष्पक्ष बहस करता कांग्रेस के गुलाम मुसलमानो से उलझ गया उसने सीधे सवाल दागे और कहा के मोदी या उनकी पार्टी भाजपा को हम वोट नहीं देते इसलिए उनसे तो हमे मदद मांगे का हक़ भी नहीं है कांग्रेस को हम 99 प्रतीशत वोट डालते है ऐसे में कांग्रेस हमारे कंधों पर शासन में आती है तो उसे हमारा ख्याल रखना होगा ,,लेकिन हम पूंछना चाहते है के क्या राजस्थान के गोपालगढ़ ,,,टोंक में मुसलमानो के ऊपर मस्जिद में घुस कर गोलिया चलाकर उनका क़त्ले आम करने के लिए कांग्रेस सरकार को नरेंदर मोदी या उसकी पार्टी ने उकसाया था ,,,हम पूंछना चाहते है के पुरे दस साल मुसलमानो के वोट के दम पर सरकार के मज़े लिए है तब क्या मुसलमानो को रोज़गार देने के लिए नरेंदर मोदी ने कांग्रेस सरकार को इंकार क्या था ,,,,हम पूंछना चाहते है मुसलमानो को आरक्षण देने ,,रंघनाथ मिश्र और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागु करने से क्या नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को इनकार क्या था ,,हम पूंछना चाहते है के क्या कांग्रेस को थोक में वोट देने वाले मुसलमानो के कल्याण के लिए चलाये जा रहे पन्द्राह सूत्रीय कार्यक्रम की किर्यान्विति करने के लिए नरेदनार मोदी ने कहा था ,हम पूंछना चाहते है के मदरसा बोर्ड में गैरमुस्लिमों को मुस्लिमों का हक़ मारकर नियुक्त करने ,,वक़्फ़ की सप्पत्ति मस्जिद और मज़ार बेचने के लिए क्या नरेंदर मोदी ने कहा था ,,,,,,,,,हम पूंछना चाहते है के मुसलमानो को राजयसभा में लेने ,,,सियासत में भागीदार बनाने ,,विधानसभा में लोकसभा में टिकिट देने ,,,राजकीय नियुक्तियों में मुसलमानो को नियुक्त करने से क्या नरेंदर मोदी ने कांग्रेस को रोका था ऐसे कई सवाल है जो आज तन्ख़य्या गुलाम बिकाऊ मुसलमान ,,मौलानाओं को छोड़कर सभी मुसलमानो के दिल और दिमाग में है ,,,इसीलिए इस बार कांग्रेस जो मुस्लिमों की डंके की चोट पर उपेक्षा करती आई है इस बार इसी कांग्रेस की मुसलमान खुलकर चुनावों में घोर उपेक्षा कर रहे है जबकि इन हालातों से जूझ रही कांग्रेस ने कई करोड़ रूपये की डील मौलानाओं को खरीद कर की है और यही वजह है के जिन मोलानोें का कम मस्जिदों में नमाज़ पढ़ाना खुद के अलावा किसी से ना डरने का पाठ पढ़ाने का है वही मौलाना रिश्वतर के बदले बिकने के बाद मोदी का डर बताकर कांग्रेस के पक्ष में वोट डालने की अपील कर रहे है लेकिन मुसलमान समझ चूका है के उसकी बर्बादी का सबब मोदी या भाजपा नहीं सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस है ,,इसीलिए तो अब कंग्रेस को ढूंढते रह जाओगे जनाब ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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