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16 दिसंबर 2014

पेशावर मेरा शहर नहीं है

पेशावर मेरा शहर नहीं है
=-==-=-=-=-=-=--=-=--
मैं आज अपने बच्चे को
बड़ी जोर से बाहों में भींचकर
घंटों आंसू बहाता रहा

पेशावर मेरा शहर नहीं है
न मुझे उस मुल्क से मोहब्बत है
पर जो मरे वो बच्चे थे
मासूम,,.
ठीक मेरे बेटे की तरह.....
उ उ उ उ ....
मेरा बेटा अचरज में है
रोज डांटने वाले पापा
डांटकर रुलाने वाले पापा
खुद रो रहे हैं....
टॉफी खाने पर
लम्बा लेक्चर देकर
सारा स्वाद कसैला कर देने वाले पापा
चोकलेट का पूरा बक्सा ले आये
क्रिकेट का बल्ला...
ढेर सारे नये कपड़े...
स्केच पेन..पेंसिलें
जब मेरा बेटा बड़ा होकर
बाप बनेगा
तब समझेगा कि
१६ दिसम्बर को उसके बाप ने
ऐसा क्यों किया था.

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