आपका-अख्तर खान

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01 दिसंबर 2014

अपने जज़्बात

में अपना धड़कता दिल
अपने जज़्बात
अपने आंसू
अपनी यादे
अपनी चाहत
अपनी तड़पन
अल्फ़ाज़ों में लिख कर
तुम्हे बताता हूँ
और तुम हो की बस
वाह वाह कहकर
मेरे सभी जज़्बातों को
रोंदते हो
कुचलते हो
फिर चले जाते हो
शायद यही
मेरा नसीब हो ,,,,,,,

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