आपका-अख्तर खान

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25 दिसंबर 2014

जुदाई

जुदाई का हर लम्हा कुछ यूँ गुज़ारा हमने,
तुम आओगे, तुम आने वाले हो, तुम आओगे शायद ।
फिर कहा नहीं आना ही पढ़ेगा ,,,आना ही पढ़ेगा
देखो अब हम और तुम एक हो गए है ,,बिछड़ना मत प्लीज़ ,,,,,

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