आपका-अख्तर खान

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24 दिसंबर 2014

खुशनुमा लम्हे

खुशनुमा लम्हे
होते तो है है
लेकिन खिसकते है
लरज़ते हाथों से
मेने रोका है
अपने दिल
अपने जज़्बात
अपने अरमान
अपने ख्यालात में
तेरे मेरे बीच के
गुज़रे हुए
उन खुशनुमा लम्हों को
जो फिसलते जा रहे थे ,,,,अख्तर

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