देख पालकी जिस दुल्हन की, बहक गया हर एक बाराती,
जिसके द्वार उठेगा घूंघट, जाने उस पर क्या बीतेगी ।
एक रोज़ सपने में छूकर, तन मन, चन्दन वन कर डाला,
जो हर रोज़ छुआ जायेगा, उस पागल पर क्या बीतेगी ।
जिसके द्वार उठेगा घूंघट, जाने उस पर क्या बीतेगी ।
एक रोज़ सपने में छूकर, तन मन, चन्दन वन कर डाला,
जो हर रोज़ छुआ जायेगा, उस पागल पर क्या बीतेगी ।
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