जगदलपुर/रायपुर. वायुसेना के हेलिकॉप्टर पर हमले के दस दिन बाद
नक्सलियों ने सुकमा जिले में ही सोमवार को फिर एक बड़ी वारदात को अंजाम
दिया। चिंतागुफा से 11 किमी दूर एलमागुंडा पंचायत के कसलपाड़ गांव को घेरने
पहुंचे सीआरपीएफ जवानों पर घात लगाए नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी।
हमले में सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट राजेश कपूरिया और डिप्टी
कमांडेंट बीसी वर्मा समेत 14 जवान शहीद हो गए। 15 जवानों को गोलियां लगी
हैं, जिनमें तीन की हालत गंभीर है। इस मुठभेड़ में करीब आठ नक्सलियों के भी
मारे जाने की खबर है। एडीजी नक्सल ऑपरेशंस आरके विज ने देर रात बताया कि
रात करीब 10 बजे सभी शव और घायल जवानों को चिंतागुफा कैंप लाया गया। शव तथा
सभी घायल जवानों को मंगलवार को सुबह हेलिकॉप्टर से रायपुर लाया जाएगा।
चिंतागुफा और आसपास के इलाके को नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। पिछले एक महीने से फोर्स लगातार इस इलाके में घुस रही है। इसी इलाके में सर्चिंग और एरिया डामिनेशन के लिए चिंतागुफा, बुरकापाल और आसपास करीब आठ स्थानों से फोर्स शनिवार को निकली थी। इनमें सीआरपीएफ की 223वीं बटालियन, कोबरा कमांडो की 206वीं बटालियन तथा जिला पुलिस की टीमें सोमवार को दोपहर करीब तीन बजे चिंतागुफा के करीब कसलपाड़ के जंगल में पहुंची। इस दल में लगभग 240 जवान थे। तीन दिन की गश्त से थकी फोर्स को घेरने के लिए नक्सलियों ने वहां पहले ही एंबुश लगा रखा था। फोर्स जैसे ही कसलपाड़ के पास पहुंची, सीआरपीएफ की टुकड़ी इस एंबुश में फंस गई। एंबुश में शामिल करीब सौ नक्सलियों ने लाइट मशीनगन तथा दूसरे हथियारों से अचानक ताबड़तोड़ फायरिंग की।
सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का हाथ
हमले में नक्सलियों की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का हाथ होने की आशंका
जताई जा रही है। यह कमीशन ही बड़ी वारदातों की रणनीति तैयार करती है।
सीआरसी(सेंट्रल रिजनल कमांड) 1 और 2 इस क्षेत्र में माह भर पहले ही आ चुकी
थी। जो दरभा से लेकर सुकमा तक की रैकी कर रही थी।
पुख्ता जानकारी के बाद मौका देखकर नक्सलियों ने पूरी ताकत से हमला बोल दिया। शीर्ष नेता देवजी और व्यंकटेश की इस इलाके मौजूदगी है।
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