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30 नवंबर 2014

एकतरफा मोहब्बत में फेंका था तेजाब, आज भी रो पड़ती हैं चेहरा देख

(फोटो: इंदरजीत कौर)
 
मोरिंडा. उसने तेजाब फेंक मुझे मारना चाहा था। अब खुद का चेहरा भी आइने में देखने का मन नहीं करता। मेरी आंखों की दोनों रोशनी चली गई, लेकिन मेरा यह हाल करने वाले को कोर्ट ने जब सिर्फ 10 साल कैद की सजा सुनाई तो जो इंसाफ की उम्मीद थी वह भी खत्म हो गई। इतना कहते ही मंडौलीकलां में रहने वाली 28 साल की युवती इंदरजीत कौर रो पड़ी। उसकी रोती जुबान से यही बात निकली-मनजीत ने मेरी जिंदगी बर्बाद की है। अब मैं मर हुए इंसान के बराबर ही हूं और उसे उम्रकैद या फांसी की सजा होगी तो ही मुझे इंसाफ मिलेगा।
 
छननी हो चुका है मां का दिल
उस मां की तुलना किससे की जाए जो पहले से ही दुख झेलती आ रही है, लेकिन फिर भी उसने हौसला नहीं तोड़ा। रणजीत कौर बताती हैं कि इंदरजीत कौर 2 साल की होगी जब उसके पिता हरिपाल की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। वह अंबाला के नजदीकी गांव बबियाल के रहते थे। रणजीत कौर कहती हैं कि पति की मौत के बाद वह अपने मायके गांव मड़ौली कलां में आकर रहने लगीं और किसी तरह से मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालती रही। अगर कोई बच्चा तेज बुखार में हो तो भी मां-बाप का दिल किस तरह से तड़पता है। मैं तो रोजाना अपनी बच्ची को इस हाल मैं अब रूबी को छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकती। फिर भी किसी तरह से हिम्मत जुटाकर दुखों का सामना करने का प्रयास करती हूं। मुझे इस बात का बहुत दुख हुआ है कि मनजीत सिंह को इतनी कम सजा मिली है।
 
सिहर उठती है अब भी इंदरजीत कौर
इंदरजीत कौर कहती हैं कि 8 दिसंबर 2011 उसकी जिंदगी का ऐसा दिन हो गुजरा है जिसके बाद उसकी जिंदगी में दुख ही दुख बचे। शाम साढ़े 6 बजे मनजीत आया और एकदम तेजाब उड़ेल दिया। उसके बाद अंधेरा ही अंधेरा बचा।

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