उस वक़्त
गिरे मेरी आँख से
मेरे आंसू
तुमने आज
अहसास दिलाकर
अनमोल कर दिए
औरदेखो में तुम्हे
बेवफा
ज़ालिम कहता रहा
मुझे मुआफ करना
में तुम्हारी आँखों में
मेरे लिए
सजे प्यार को
बस यूँ ही
खेल खिलौना
समझता रहा ,,,,,,,,,,,,,
मेरे आंसू
जिन्हे मेने पानी समझा था
उसे तुम्हारे ज़ाहिर हुए
अहसास ने
आज अनमोल कर दिया ,,,,,अख्तर
गिरे मेरी आँख से
मेरे आंसू
तुमने आज
अहसास दिलाकर
अनमोल कर दिए
औरदेखो में तुम्हे
बेवफा
ज़ालिम कहता रहा
मुझे मुआफ करना
में तुम्हारी आँखों में
मेरे लिए
सजे प्यार को
बस यूँ ही
खेल खिलौना
समझता रहा ,,,,,,,,,,,,,
मेरे आंसू
जिन्हे मेने पानी समझा था
उसे तुम्हारे ज़ाहिर हुए
अहसास ने
आज अनमोल कर दिया ,,,,,अख्तर
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