नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जा चुके 214 कोयला
ब्लॉक्स के आवंटन में सरकारी कंपनियों को प्राथमिकता दी जाएगी। जबकि निजी
कंपनियों का पूल बनाया जाएगा। इसके बाद ई-ऑक्शन के जरिए खदानें इन्हें
आवंटित होंगी। केंद्र सरकार ने कोयले की उपलब्धता में आए गतिरोध को दूर
करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस सिलसिले में कोयला ब्लॉक्स का आवंटन
दोबारा करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी है। इसे राष्ट्रपति को भी भेज
दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में
अध्यादेश पर सहमति बनी। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बताया कि 2005 से यूपीए
सरकार ने अव्यवस्था फैलाई थी। इसे नई सरकार ई-ऑक्शन के जरिए तीन से चार
महीने में दूर करेगी। अध्यादेश के स्थान पर संसद के अगले सत्र में विधेयक
लाएंगे। कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि नीलामी में सिर्फ भारतीय
कंपनियों को ही भाग लेने की अनुमति होगी।
नीलामी में सरकारी कंपनियों को तवज्जो
> सरकारी बिजली कंपनियों जैसे एनटीपीसी और राज्यों के बिजली निगमों को खदानों के आवंटन में प्राथमिकता।
> सीमेंट, इस्पात और बिजली क्षेत्र की निजी कंपनियों के लिए पूल बनेगा। उन्हें ई-ऑक्शन के जरिए खदानें आवंटित होंगी।
> कोयला ब्लॉक्स का आवंटन वास्तविक उपभोक्ता कंपनियों को किया जाएगा। सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी।
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