आपका-अख्तर खान

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19 अक्तूबर 2014

मेरी शायरी का

मेरी शायरी का
कोई हिस्सा भी
तुम्हे पसंद नहीं
लेकिन यक़ीन करना
एक एक अल्फ़ाज़
सिर्फ तुम्हारे लिए है
इन अल्फ़ाज़ों
इन अहसासातों से
तुम्हे ज़रा ख़ुशी नहीं
मुझे माफ़ करना
में अब लिखूंगा नहीं
मेने मेरे जज़्बातों में डूबी
मेरे खून की स्याही से भरी
वोह क़लम जो तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए लिखती है
आज मेने उसे ख़तमशूद कर दिया ,,,,
अब तुम खुश रहो
तुम आबाद रहो ,,,,,,,अख्तर

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