इंचियोन. अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग संघ (आइबा) ने भारतीय बॉक्सर
सरिता देवी के खिलाफ पोडियम पर मेडल स्वीकार न करने पर अनुशासनात्मक
कार्रवाई शुरू कर दी है। लेकिन कार्रवाई पर अंतिम निर्णय एशियाड खत्म होने
के बाद लिया जाएगा। आइबा के पदाधिकारी डेविड फ्रांसिस ने कहा, 'सारी घटना
सरिता और उसकी टीम की सोची-समझी योजना लगती है।' अगर सरिता देवी को दोषी
पाया गया तो उन पर लंबे समय के लिए प्रतिबंध लग सकता है।
दूसरी ओर, सरिता देवी ने आइबा के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'कोई बात नहीं। मैंने जो किया उससे मैं खुश हूं। मैंने जो किया है देश के लिए किया है। एक अंग्रेजी टीवी चैनल से बातचीत में सरिता देवी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा है कि उनका दो साल का बेटा उन्हें नहीं पहचानता। क्योंकि वे बॉक्सिंग की प्रैक्टिस के चलते उसे समय नहीं दे पाती थीं। सरिता के मुताबिक, 'मैं अपने परिवार से दूर रही और बहुत मेहनत की। लेकिन एक खिलाड़ी का दर्द एक खिलाड़ी ही जान सकता है। किसी अफसर ने मेरी मदद नहीं की। लेकिन भारत के लिए कुर्बानी देकर मैं खुश हूं।' सरिता ने पूरे विवाद पर कहा, "मुझे लगता है कि मुझे यह मेडल स्वीकार नहीं करना चाहिए। मैं फाइनल मैच में पहुंचने की हकदार थी। यदि वे मुझ पर कार्रवाई करना चाहें तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं, लेकिन मैं मेडल स्वीकार नहीं कर सकती।"
दूसरी ओर, सरिता देवी ने आइबा के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'कोई बात नहीं। मैंने जो किया उससे मैं खुश हूं। मैंने जो किया है देश के लिए किया है। एक अंग्रेजी टीवी चैनल से बातचीत में सरिता देवी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा है कि उनका दो साल का बेटा उन्हें नहीं पहचानता। क्योंकि वे बॉक्सिंग की प्रैक्टिस के चलते उसे समय नहीं दे पाती थीं। सरिता के मुताबिक, 'मैं अपने परिवार से दूर रही और बहुत मेहनत की। लेकिन एक खिलाड़ी का दर्द एक खिलाड़ी ही जान सकता है। किसी अफसर ने मेरी मदद नहीं की। लेकिन भारत के लिए कुर्बानी देकर मैं खुश हूं।' सरिता ने पूरे विवाद पर कहा, "मुझे लगता है कि मुझे यह मेडल स्वीकार नहीं करना चाहिए। मैं फाइनल मैच में पहुंचने की हकदार थी। यदि वे मुझ पर कार्रवाई करना चाहें तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं, लेकिन मैं मेडल स्वीकार नहीं कर सकती।"
आइबा ने अपनी वेबसाइट पर जारी बयान में कहा है कि मंगलवार को हुए
बॉक्सिंग मुकाबले के बाद भारतीय टीम ने विरोध दर्ज किया था। लेकिन ये विरोध
जजों के फैसले के खिलाफ था, जो नियमों के तहत जायज नहीं है। ऐसा विरोध
सिर्फ रेफरी के निर्णय के खिलाफ ही दर्ज किया जा सकता है।
रातभर रोती रहीं सरिता?
विवादित मैच में सरिता को हराने वाली साउथ कोरियाई पार्क जीना फाइनल
में चीनी बॉक्सर जुहुआ यिन से पराजित हुईं। फाइनल मैच के बाद हुई मेडल
सेरेमनी होनी थी। लाइटवेट वर्ग के सभी विजेता पोडियम के पास अपना नाम
अनाउंस होने का उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे, लेकिन सरिता देवी अपने
जज्बातों से लड़ रही थीं। उनकी आंखें देखकर लग रहा था कि जैसे वह रात भर
रोई हैं।
जब ब्रॉन्ज मेडल विनर के तौर पर उनके नाम की घोषणा हुई तो सरिता अपने आंसुओं को रोक नहीं पाईं। वे फूट-फूटकर रोने लगीं। ऑफिशियल ब्रॉन्ज मेडल लेकर उनके पास पहुंचे, लेकिन सरिता ने उनका हाथ रोकते हुए मेडल लेने से इनकार कर दिया। अधिकारी द्वारा मिन्नतें किए जाने के बाद उन्होंने मेडल हाथ में ले लिया।
साउथ कोरियाई बॉक्सर को पहनाया मेडल
सरिता लगातार रो रही थीं। वहां मौजूद फैन्स उनके समर्थन में नारे लगा रहे थे। प्रथा के अनुसार जैसे ही गोल्ड मेडल जीतने वाले चीन का नेशनल एंथम बजा, वैसे ही सरिता पोडियम से उतरीं और सिल्वर जीतने वाली साउथ कोरिया की पार्क जीना के पास चली गईं। उन्होंने अपने हाथ में रखा ब्रॉन्ज मेडल उसे पहना दिया।
सरिता के इस रिएक्शन पर कोरियाई बॉक्सर समेत वहां उपस्थित सभी अधिकारी व एथलीट अवाक् रह गए। पार्क जीना को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या प्रतिक्रिया दे।
पार्क जीना को मेडल पहनाने के बाद सरिता फिर से पोडियम पर आकर खड़ी हो गईं। इस बार कोरियाई बॉक्सर उनके पीछे आई और उनसे मेडल वापस लेने के लिए मिन्नतें करने लगी। सरिता ने प्यार से उसका हाथ थामा और मेडल लेने से इनकार कर दिया, लेकिन अंत में उन्हें मेडल वापस लेना पड़ा। बाद में उन्होंने पार्क जीना को गले से लगा लिया।
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