जब भी चाहता हूँ कि खुश हूँ
ऐसे कुछ लिखूँ l
चुपचाप ये आँसू
गिर कर के भिगा देते हैं ll
उन कागज़ के टुकड़ों को
जो सहेज के रखता हूँ l
पहले के सियाही के
ब्रिजेश पानी मिला देते हैं ll
ऐसे कुछ लिखूँ l
चुपचाप ये आँसू
गिर कर के भिगा देते हैं ll
उन कागज़ के टुकड़ों को
जो सहेज के रखता हूँ l
पहले के सियाही के
ब्रिजेश पानी मिला देते हैं ll
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