संस्कृत
उर्दू और हिंदी भाषा की माँ है ,,फिर भी देखिये हम माँ का कभी दिवस नहीं
मनाते और उर्दू का भी कोई दिवस नहीं मनाते ,,,,कहीं सियासत तो नहीं ,,कहीं
दिखावा तो नहीं ,,वरना एक सरकारी आदेश ,,,चुनाव लड़ने वाले के लिए ,,,,चुनाव
का आवेदन सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रभाषा हिंदी में खुद की लेखनी में भरा
जाएगा ,,चाहे पंचायत के चुनाव हो ,,चाहे ,,नगरपालिका के ,,चाहे सांसद
,,चाहे विधायक के ,,,इसी तरह देश में कोई भी लाइसेंस प्राप्त करने ,,
पासपोर्ट प्राप्त करने ,,नौकरी प्राप्त करने या कोई भी आवेदन पत्र हिंदी
में ही खुद आवेदक द्वारा भरने की शर्त हो तो देखिये साक्षरता भी शुरू और
हिंदी भाषा का राष्ट्रसम्मान भी शुरू ,,,,,लेकिन तमाशा है ,,हम तमाशा का
हिस्सा तो बने है लेकिन रचनात्मक सुझावों के साथ ,,,अख्तर
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