एक
शिक्षक ,,,अगर ,,अपने चहेते चेले को ,,फायदा पहुंचाने के लिए ,,दूसरे ऐसे
चेले से उसका अंगूठा मांग ले जो इस शिक्षक की मूर्ति रख कर भगवान की तरह
पूजा कर खुद अपने हुनर से हुनर बाज़ बना था ,,और हुनर के लिए अंगूठे की
खुसूसी ज़रूरत हो ,,फिर भी शिक्षक अगर ऐसे समर्पित निर्लोभी चेले से उसका
अंगूठा मांग ले ,,और चेला बिना किसी सवाल के ऐसे गुरु को अपना अंगूठा काट
कर दे दे ,,,तो भाई शिक्षक दिवस बनना चाहिए या फिर चेला दिवस बताइये तो सही
,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर
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