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05 सितंबर 2014

न्यायिक व्यवस्था का बोझ कम होगा

सुप्रीम कोर्ट ने लगातार सज़ायाफ्ता मुलजिमों की अपील सुनवाई पर नहीं आने पर उन्हें ज़मानत पर छोड़ने के फार्मूले तय्यार कर क्रियान्वित के आदेश दिए है ,,लेकिन अधिकतम आदेशो की पालना अब तक सुनिश्चित नहीं हो सकी है ,,,वर्तमान में जेल में बंद मुलजिमों को एक निर्धारित फार्मूले निर्देशों के तहत जब छोड़ा नहीं गया तो खुद सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर क़दम उठाते हुए सख्त निर्देश दिए है जिसमे अब न्यायिक अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार की जेल में जाकर मामले तलाश कर उन्हें मुचलकों पर छोड़ेंगे ,,सुप्रीम कोर्ट अगर पूर्व में जारी आदेशो की समीक्षा कर क्रियावन समिति बना दे और उसमे वकील ,,जज ,,प्रशासनिक अधिकारी शामिल हो जाये तो निश्चित तोर पर आधी से ज़्यादा न्यायिक व्यवस्था का बोझ कम होगा और ऐतिहासिक सुधारात्मक क़दम होंगे ,अख्तर

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