राजस्थान
हाईकोर्ट न्यायिक अधिकारीयों की शिकायत के मामले में ना जाने क्यों अड़ियल
रुख अपनाती है जबकि खुद हाईकोर्ट स्क्रीनिंग में अनेको बार दर्जनों न्यायिक
अधिकारीयों को भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोपी मानकर या तो बर्खास्त कर
चुकी है या फिर जबरी सेवानिवृत्ति देकर उनसे पीछा छुड़ाया है ,,,वर्तमान में
वकील और हाईकोर्ट टकराव में एक छोटा सा मुद्दा बचा है ,,जांच को तय्यार है
लेकिन भाई जांच किसी अधिकारी के उसी
स्थान पर पद पर रहते हुए नहीं हो सकती निष्पक्ष जांच के लिए अधिकारी को
हटाना तो होगा ही फिर निर्दोष साबित हो तो चाहो तो वापस लगा दो ,,लेकिन
किसी भी मुद्दे को इश्यू बनाकर टकराव ठीक नहीं ,,अब तो इस टकराव को सौहार्द
पूर्ण तरीके से खत्म करना चाहिए ,,,,,,,,नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतो की
पालना करना चाहिए ,,, हठधर्मिता से राजस्थान पुरे हिंदुस्तान में बदनाम हो
रहा है ,,,,,,,,,,,,अख्तर
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 सितंबर 2014
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कुछ वकील नेताओं की वजह से ही यह सारा माहौल बिगड़ रहा है,कई मित्र वकीलों से सम्पर्क है, सब असंतुष्ट हैं, पर संगठन की राय व तानाशाही रुख के आगे मौन है,छोटे वकीलों के तो घर खर्च के लाले पड़ गएँ हैं उलंघन करें तो हाथापाई की नौबत आ सकती है,
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