चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय के एक जज ने धोखाधड़ी जैसे मामलों में
बतौर सजा दोषी का हाथ काट दिए जाने की बात कही है। जस्टिस एस विद्यानाथन
ने गुरुवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में धोखाधड़ी करने
वालों और संपत्ति के नकली कागजात बनाने वालों के हाथ या उंगलियां काट देने
का कानून नहीं है। जस्टिस विद्यानाथन ने यह टिप्पणी संपत्ति के जाली कागजात
बनाने के एक मामले की सुनवाई के दौरान की।
जस्टिस विद्यानाथन-
जस्टिस विद्यानाथन ने कहा, "इस्लामिक देशों में छोटी-सी चोरी के लिए भी हाथ और उंगलियां काट देने की सजा दी जाती है। मैंने एक लेख पढ़ा था, जिसमें ईरान के कोर्ट ऑफ शिराज में एक विशेष तरह की मशीन लगाई गई है। इसका इस्तेमाल चोरी करने वालों के हाथ की उंगलियां काटने में किया जाता है। जालसाजी के लिए यह अदालत भी उंगलियां काट देने के इतने कड़े दंड से याचिकाकर्ता (अपराधी) को सम्मानित करना चाहती है।'
विद्यानाथन यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, ''यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि
हमारे देश में धोखाधड़ी या संपत्ति के जाली कागजात बनाने वाले अपराधियों के
हाथ या उंगलियां काट देने का कोई कानून नहीं है। अगर कानून कड़े हों, तो
अपराधी ऐसी गतिविधियों में लिप्त होने की हिम्मत नहीं करेंगे और सब
रजिस्ट्रार ऑफिस के ऐसे अधिकारियों के हाथ भी काट देने चाहिए, जो ऐसे
अपराधियों से मिले होते हैं और निर्दोष लोगों की संपत्ति को लूटने या
हड़पने में उनकी मदद करते हैं।''
कुरान का हवाला देकर ठहराया 'हराम' -
जस्टिस विद्यानाथन ने कुरान का हवाला देते हुए इस काम को 'हराम' भी बताया। उन्होंने कहा, ''पैगंबर ने ऐसे लोगों को चोर होने का शाप दिया है। ऐसे भ्रष्ट तत्व समाज में हैं और अगर इन्हें छोड़ दिया गया, तो वह अपने भ्रष्टाचार से निर्दोष लोगों को प्रभावित करेंगे और उम्माह (राष्ट्र) के शरीर को संक्रमित करेंगे।''
जस्टिस विद्यानाथन ने कुरान का हवाला देते हुए इस काम को 'हराम' भी बताया। उन्होंने कहा, ''पैगंबर ने ऐसे लोगों को चोर होने का शाप दिया है। ऐसे भ्रष्ट तत्व समाज में हैं और अगर इन्हें छोड़ दिया गया, तो वह अपने भ्रष्टाचार से निर्दोष लोगों को प्रभावित करेंगे और उम्माह (राष्ट्र) के शरीर को संक्रमित करेंगे।''
क्या था मामला
पी एम ऐलावरसन नाम के एक शख्स ने संपत्ति के एक मामले में कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उसने अदालत से मांग की थी कि उसकी संपत्ति के लिए पंजीयन संख्या आवंटित करने और दस्तावेज जारी करने के लिए कोर्ट सैदापेट जिला पंजीयक और वीरूगमबक्कम सब-रजिस्ट्रार को निर्देश दे। गौरतलब है कि अधिकारियों ने ऐलावरसन पर संपत्ति से जुड़े कागजात के साथ फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाते हुए कागजात जब्त कर लिए थे। अधिकारियों का कहना है कि यह संपत्ति वीवीवी नचियप्पन नाम के किसी शख्स की है।
ऐलावरसन के वकील ने इस पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि अधिकारियों के
पास संपत्ति के स्वामित्व की जांच की शक्ति नहीं है और वे पंजीकृत
दस्तावेजों को लौटने के लिए बाध्य हैं। जस्टिस विद्यानाथन ने ऐलावरसन की इस
मांग को खारिज कर दिया और कहा कि यह सीधे तौर पर संपत्ति हड़पने का मामला
है। कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि कैसे ऐलावरसन ने जालसाजी और
धोखाधड़ी को अंजाम देने के बावजूद अदालत का दरवाजा खटखटाकर दुस्साहस दिखाया
है।
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