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04 जुलाई 2014

पेट्रोलियम मंत्री का एलान, नहीं बढ़ेगी रसोई गैस की कीमत


पेट्रोलियम मंत्री का एलान, नहीं बढ़ेगी रसोई गैस की कीमत
 

 
 
नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा रसोई गैस की कीमत में बढ़ोत्‍तरी की खबर आने के बाद शुक्रवार को पेट्रोलियम मंत्रालय ने साफ किया कि ऐसी कोई योजना नहीं है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक न्‍यूज चैनल के साथ बातचीत में इस बात से इनकार किया कि पेट्रोल, केरोसीन या डीजल की कीमत में बढ़ोत्‍तरी होने वाली है। 
 
इससे पहले खबर आई थी कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने 250 रुपए प्रति गैस सिलेंडर दाम बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा, केरोसिन के दाम में चार से पांच रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल की कीमत में भी मासिक 40 से 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी का प्रस्‍ताव दिया गया।खबर थी कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने किरीट पारेख समिति की सिफारिशों को मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (सीसीपीए) के पास भेजने का फैसला किया है। 
 
क्‍या सिफारिशें हैं पारिख समिति की 
 योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस. पारीख की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों पिछले साल अक्तूबर में सरकार को सौंपी गई थी। इस समिति ने अपनी सिफारिशों में डीजल के दाम 5 रुपए, मिट्टी तेल के दाम 4 रुपए और घरेलू इस्तेमाल वाले रसोई गैस सिलेंडर के दाम 250 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ाने का सुझाव दिया था ताकि 72,000 करोड़ रुपए के सब्सिडी बिल को कम किया जा सके। पारिख समिति ने एक साल के भीतर डीजल की पूरी सब्सिडी खत्‍म करने और सस्ते सिलेंडर की आपूर्ति एक साल में छह सिलेंडर पर सीमित करने की सिफारिश की थी। इस समय हर साल प्रति परिवार 12 सस्ते सिलेंडर दिए जाते हैं।
 
डीजल होगा नियंत्रण मुक्‍त? 
सूत्र के मुताबिक, पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि सीसीपीए उसे डीजल के दाम नियंत्रण मुक्त करने की मंजूरी दे दे। इससे पहले, पेट्रोल के मामले में ऐसा किया जा चुका है। पेट्रोल के दाम जून 2010 में नियंत्रण मुक्त किए गए थे। पेट्रोल के दाम नियंत्रण मुक्त होने के बाद से हर महीने की पहली और 16वीं तारीख को इसकी कीमत की समीक्षा की जाती है।

क्‍या बताई थी बढ़ोत्‍तरी की वजह 
मिट्टी तेल, रसोई गैस और डीजल के दाम नहीं बढ़ने की सूरत में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,07,850 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। इस नुकसान की भरपाई सरकार की तरफ से कंपनियों को दी जाने वाली नगद सब्सिडी और तेल उत्पादक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी, ऑयल इंडिया तथा गेल के योगदान से पूरा करना पड़ता है।

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