आपका-अख्तर खान

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25 जुलाई 2014

हवा ठहर गई

हवा ठहर गई
पर समय नहीं
गुजरता गया
बिना रुके ही
और मैं बस
देखता रह गया
ठहरी हुई हवा
जाते हुए समय को
बारिश की बुँदे भी
रुक गई आसमान में
मेरी पैशानी पर
बिखरी हुई पसीने
की बुंदों को देख कर
और में खुश हुआ कि
हवा ठहरी और
समय चला
मेरे लिए

1 टिप्पणी:

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