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04 जून 2014

इस्लामिक नज़रिया नहीं दिखा और वोह खामोश है

दोस्तों कितनी अजीब बात है ,,देश की राजधानी दिल्ली में जहां देश के बढ़े बढ़े मुस्लिम आलिम ,,मुफ्ती ,,मोलवी ,,मौलाना ,,फतवागीर और खासकर इमाम बुखारी साहब जो कांग्रेस ,,भाजपा ,,सपा ,,बसपा के लिए चुनाव में फतवे देने के लिए मशहूर है ,,,मुस्लिम मशववरात बोर्ड ,,मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड जैसे इदारे है ,,जब जब भी मुस्लिम महिला को इन्साफ देने की बारी आती है ,,,,,इन लोगों के मुताबिक़ इस्लाम खतरे में पढ़ जाता है ,,खुद तक़वे से नहीं रहते और दूसरों को महन्ताना लेकर फतवों पर चलने की सलाह देते फिरते है ,,,इसी दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर ज़ाकिर हुसेन का ड्रीम प्रोजेक्ट जामिया युनिवर्सीटी में गेट नंबर सात पर मिर्ज़ा असदुल्ला ग़ालिब मशहूर शायर की मूर्ती स्थापित की गई है जो सीधे इस जामिया हिदाया में मूर्ती प्रवर्त्ती को बढ़ावा देने वाला और इस्लाम के खिलाफ है ,,लेकिन कहा गए इस्लाम के जानकार ,और फतवागीर सौदेबाज लोग शायद इन सियासी मज़ा लेने वाले लोगों को ग़ालिब की मूर्ती स्थापित करने के मामले में इस्लामिक नज़रिया नहीं दिखा और वोह खामोश है ,,,,,,,,,अख्तर

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