इतनी धुप में घबरा क्यों गए…… काश कुछ
पौधों को जीवन दिया होता बचपन में।
जी हाँ दोस्तों इस्लामिक बात है ,,,जन्नत जन्नत इसीलिए है क्योंकि वहां पेढ़ पोधे हरियाली है ,,,,,,,,,हुज़ूर स अ व ने फ़रमाया है के पढ़ लगाना और उन्हें बचाये रखना सबसे बढ़ा सवाब है ,,,,,फिर मुसलमानो के होते हुए हरे पेड़ों की कटाई क्यों ,,,जो पेढ़ हमे फल ,,हमे छाया ,,,हमे ज़िंदगी देते है आओ उन पेड़ों को लगाने ,,उन पेड़ों को बचाने के लिए काम करे सवाब हांसिल करें ,,और दुनिया को बता दे के इस्लाम इंसान के साथ हिंसा तो क्या ,,पेढ़ पौधों के साथ भी हिंसा करने का हुक्म देता ,, अख्तर
पौधों को जीवन दिया होता बचपन में।
जी हाँ दोस्तों इस्लामिक बात है ,,,जन्नत जन्नत इसीलिए है क्योंकि वहां पेढ़ पोधे हरियाली है ,,,,,,,,,हुज़ूर स अ व ने फ़रमाया है के पढ़ लगाना और उन्हें बचाये रखना सबसे बढ़ा सवाब है ,,,,,फिर मुसलमानो के होते हुए हरे पेड़ों की कटाई क्यों ,,,जो पेढ़ हमे फल ,,हमे छाया ,,,हमे ज़िंदगी देते है आओ उन पेड़ों को लगाने ,,उन पेड़ों को बचाने के लिए काम करे सवाब हांसिल करें ,,और दुनिया को बता दे के इस्लाम इंसान के साथ हिंसा तो क्या ,,पेढ़ पौधों के साथ भी हिंसा करने का हुक्म देता ,, अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)