नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
की सरकार के गुरुवार को 30 दिन पूरे हो गए। इस एक महीने के अनुभव को मोदी
ने ब्लॉग लिख कर बयां किया। उन्होंने मिल रहे समर्थन पर लोगों को धन्यवाद
दिया। पर कहा कि पिछली सरकारों के 67 साल के काम की एक महीने से तुलना करना
ठीक नहीं है। उन्होंने कटाक्ष भी किया। बोले, 'हर नई सरकार को कुछ समय
मिलता है, जिसे मीडिया के कुछ मित्र हनीमून पीरियड कहते हैं। पुरानी
सरकारों ने तो हनीमून पीरियड को 100 दिन और उससे भी ज्यादा बढ़ाया। मुझे तो
यह समय भी नहीं मिला।
मोदी ने ब्लॉग पर आगे लिखा, '100 दिन तो छोडि़ए, 100 घंटे के भीतर ही मुझ पर आरोप लगने लगे। लेकिन जब कोई पूरी ताकत के साथ देश सेवा करता है तो उस पर इन आलोचनाओं का कोई असर नहीं होता। मैं काम करता रहा, जिसका मुझे संतोष है।'
भाषा आंदोलनकारियों को अंग्रेजी में जवाब
पिछले दिनों मोदी सरकार ने अफसरों से सोशल मीडिया पर हिंदी के
इस्तेमाल को तरजीह देने को कहा था। लेकिन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
भाषा आंदोलनकारियों की चिट्ठी का जवाब अंग्रेजी में दिया। इससे हिंदी के
लिए आंदोलन करने वाले हैरत में हैं। दिल्ली में भाषा आंदोलन के बैनर तले
कुछ कार्यकर्ता अप्रैल से धरना दे रहे हैं। उनकी मांग है कि लोकसेवा आयोग
की सभी परीक्षाओं के साथ ही न्यायालयों का कामकाज हिंदी और भारतीय भाषाओं
में कराया जाए।
भाषा आंदोलन के महासचिव देवसिंह रावत ने गुरुवार को बताया,'हमने अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म करने की मांग की है। इस बारे में हमने प्रधानमंत्री को हिंदी में चिट्ठी लिखी थी। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय से 16 जून को जवाब अंग्रेजी में आया। हालांकि हमारी मांगों पर विचार करने की बात कही गई। देश में हिंदी को प्रमुखता से लागू करने की बात करने वाले प्रधानमंत्री के कार्यालय में किस स्तर पर काम हो रहा है, इसका अनुमान इसी पत्र से लगाया जा सकता है।'1. पुरानी सरकारों पर
एक महीने से 67 साल की तुलना नहीं की जा सकती। मैं कहना चाहूंगा कि मेरी टीम ने हर पल लोगों के कल्याण की सोची। हमारा हर एक फैसला राष्ट्रहित को समर्पित था।'
2. अपने काम पर
'जब हमने सरकार बनाई थी, तो कुछ लोगों का मानना था कि चीजें समझने में मुझे एक साल लगेगा या शायद दो भी लगे। महीनेभर बाद मुझे ऐसा नहीं लगता। मेरा आत्मविश्वास और जज्बा दोनों बढ़ा है।'
'जब हमने सरकार बनाई थी, तो कुछ लोगों का मानना था कि चीजें समझने में मुझे एक साल लगेगा या शायद दो भी लगे। महीनेभर बाद मुझे ऐसा नहीं लगता। मेरा आत्मविश्वास और जज्बा दोनों बढ़ा है।'
3. चुनौतियों पर
'दिल्ली में मेरे लिए एक बड़ी चुनौती है। कुछ लोगों को यह समझाना कि हम इस देश में सकारात्मक बदलाव लाने के प्रति पूरी तरह ईमानदार हैं। ऐसे लोग सरकार के भीतर और बाहर दोनों जगह हैं।'
4. विवादों पर
'कुछ ऐसी बातें हुई जिनका सरकार से संबंध नहीं था। फिर भी विवाद हुए। मैं किसी पर इल्जाम नहीं लगा रहा पर हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिसमें सही चीजें सही लोगों तक सही वक्त पर पहुंचें।'
'दिल्ली में मेरे लिए एक बड़ी चुनौती है। कुछ लोगों को यह समझाना कि हम इस देश में सकारात्मक बदलाव लाने के प्रति पूरी तरह ईमानदार हैं। ऐसे लोग सरकार के भीतर और बाहर दोनों जगह हैं।'
4. विवादों पर
'कुछ ऐसी बातें हुई जिनका सरकार से संबंध नहीं था। फिर भी विवाद हुए। मैं किसी पर इल्जाम नहीं लगा रहा पर हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिसमें सही चीजें सही लोगों तक सही वक्त पर पहुंचें।'
'हमारा एक महीना 26 जून को पूरा हुआ है। इसी दिन 1975 में आपातकाल लगा था। अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगी थी। वैसे दिन दोबारा न देखने पड़ें, इसके लिए संस्थाओं को मजबूत करना होगा।'
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