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19 मार्च 2014

कांग्रेसियों की मांग- मोदी को हराना है तो बनारस में प्रियंका को लाओ


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नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के लिए वाराणसी फतह करना उतना आसान नहीं होगा जितना भाजपा को लग रहा है। कांग्रेस उन्हें कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है। इसके लिए पार्टी में दिमागी मशक्कत चल रही है। अब तक कांग्रेस के कई नेता चुनाव लडऩे के प्रति अनिच्छुक थे। बुधवार को अचानक पार्टी सक्रिय हो गई। पार्टी के एक प्रभावी धड़े ने प्रियंका गांधी को टिकट देने की मांग कर दी। नेताओं ने कहा- मोदी को हराना है तो बनारस से प्रियंका को टिकट दो। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का भी नाम सामने आया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के कई दिग्गज नेताओं से इस सीट पर रणनीति के लिए रायशुमारी की है। स्थानीय समीकरण के मद्देनजर मोदी की काट खोजने का सिलसिला शुरू हुआ। अंतिम फैसला शुक्रवार तक होगा। इस सीट से पार्टी महासचिव मोहन प्रकाश, पूर्व सांसद राजेश मिश्र और विधायक अजय राय का नाम भी चल रहा है।

केजरीवाल का समर्थन नहीं करेगी कांग्रेस-कांग्रेस ने तय किया है कि वह मोदी को किसी भी हालत में वॉकओवर नहीं देगी। पार्टी ने कहा है कि हम अपना सशक्तउम्मीदवार इस सीट से उतारेंगे। बुधवार को कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने दोहराया कि पार्टी वाराणसी में पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी। अरविंद केजरीवाल को कतई समर्थन नहीं दिया जाएगा।
हर विकल्प पर विचार कर रही है कांग्रेस
प्रियंका गांधी

वजह-प्रियंका लंबे समय से उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं। अमेठी-रायबरेली में अक्सर जाती हैं। उन्हें वाराणसी से टिकट मिला तो पार्टी में उत्साह आएगा।
कांग्रेस को यह भी लगता है कि प्रियंका पूर्वांचल में मोदी का असर सीमित कर देंगी। पार्टी एकजुट होकर लड़ेगी। सपा अपना प्रत्याशी वापस ले सकती है।
दिग्विजय सिंह
वजह-
मोदी के खिलाफ हमेशा मुखर रहे हैं। कांग्रेस को लगता है कि उनके नाम पर समाजवादी पार्टी भी सहमति जता सकती है। वे केजरीवाल के खिलाफ भी भारी पड़ेंगे। ठाकुरों के वोट उन्हें मिल सकते हैं।

काशी नरेश
वजह-
स्थानीय समीकरण के मद्देनजर काशी नरेश के परिजनों से भी कांग्रेस ने चर्चा की है। संकट मोचन मंदिर के महंतों से भी चर्चा हुई है। लेकिन प्रियंका-दिग्विजय के के आगे इस परिवार का दावा अभी कमजोर है।

आनंद शर्मा भी तैयार
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा है कि वे मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लडऩे को तैयार हैं। जिस वक्तपार्टी उन्हें कहेगी, वे तुरंत वाराणसी पहुंच जाएंगे।
वाराणसी में वोटों का गणित
वाराणसी में करीब ढाई लाख ब्राह्मण हैं। करीब इतनी ही संख्या में मुसलमान भी हैं। वैश्य मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख के आसपास है। यादवों की संख्या एक लाख के आसपास व दलित मतदाताओं की संख्या 70 से 80 हजार के करीब है।

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