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16 फ़रवरी 2014

चिदंबरम पर जूता उछालने वाले जरनैल बोले- दंगों की राजनीति के खिलाफ हूं मैदान में



नई दिल्ली. सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर/सज्जन कुमार को मिली क्लीन चिट पर असंतोष जाहिर करते हुए तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम की ओर जूता उछालकर चर्चा में आए जरनैल सिंह अब पश्चिमी दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी के लोकसभा उम्मीदवार हैं। 'जूता उछालकर' सिखों की भावनाओं को दर्शाने का दावा करने वाले जरनैल ने पहली बार 'भास्कर' से राजनीति के मुद्दे पर खुलकर बात की।
क्या वजह है कि राजनीति के बजाए कौम की सेवा का दावा करने वाले जरनैल अब लोकसभा उम्मीदवार हैं? 
पहली बार किसी सरकार ने 1984 दंगों पर एसआईटी का गठन किया। ऐसा करने वाले अरविंद केजरीवाल पहले शख्स हैं। ऐसे में लगा कि दंगों की राजनीति के खिलाफ मैं अकेला मैदान में नहीं हूं। बस वजह यही है कि मैं उम्मीदवार हूं।
'दंगों की राजनीति के खिलाफ' से आपका क्या मतलब है? 
मतलब बिल्कुल स्पष्ट है, दंगा एक पार्टी के राज में नहीं हुआ, भागलपुर दंगा हो, 1984 का सिख विरोधी दंगा हो, मुजफ्फरनगर दंगा हो या फिर गुजरात का दंगा। किसी भी पार्टी ने इन दंगों को रोकने का प्रयास नहीं किया। अगर समयबद्ध कार्रवाई होती तो आगे दंगे नहीं होते। लेकिन हर पार्टी ने इनकी जांच और दोषियों तक पहुंचने में वर्षों लगा दिए, क्योंकि इनके लिए राजनीति पहले है। दंगे रोकना या पीडि़तों की पीड़ा को समझना नहीं।
आपको नहीं लगता कि राजनीति में आने से आंदोलनकारी जरनैल खत्म हो जाएगा? 
ऐसा नहीं है। भावना पवित्र और लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए। मैं पत्रकार रहा हूं, मैने जब नौकरी छोड़ी तो मैं एक प्रतिष्ठित पद पर था। न तो उस समय मेरा लक्ष्य राजनीति था और न ही अब है। मेरा उद्देश्य दंगों की राजनीति खत्म करना है।
पत्रकार के बाद सांसद की भूमिका मिली तो क्या करेंगे? 
पत्रकार के तौर पर मैने लोकसभा, पंजाब राज्य, रक्षा मंत्रालय, खाद्य आपूर्ति मंत्रालय और राजनीतिक दलों को एक दशक से ज्यादा समय तक कवर किया है। मैं जानता हूं कि आम आदमी को किन मंत्रालयों से और संसद में अपने प्रतिनिधियों से क्या अपेक्षाएं होती हैं। देश के एक प्रतिष्ठित अखबार में काम करने से लेकर अपनी भावनाओं को उजागर करने के बाद मैं बेरोजगार भी रहा हूं। ऐसे में आप उम्मीद कर सकते हैं कि मैं एक आम आदमी हूं और सदन में भी आम आदमी की आवाज बनूंगा।

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