हैदराबाद. भारतीय बाजार की सबसे मशहूर छोटी कार मारुति 800 की कहानी का आखिरकार अंत हो गया। देशभर में मारुति सुजूकी के कई डीलर की रोजी-रोटी बन चुकी और लाखों मध्यम वर्गीय भारतीय ग्राहकों की पहली इस कार का नया संस्करण अब कभी नहीं आएगा।
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया ने अपनी इस सबसे सफल कार का उत्पादन बंद करने का फैसला कर लिया है। कंपनी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। हालांकि कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सी. वी. रमण ने कहा कि इस कार का उत्पादन जरूर बंद कर दिया गया है। लेकिन नियम के मुताबिक अगले 8-10 वर्षों तक इस कार के ग्राहकों को इसके स्पेयर पार्ट्स मिलते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि अब तक हमने जिन कारों को चरणबद्ध तरीके से बाजार से हटाया है, उनके स्पेयर पाट्र्स के लिए यही नियम अपनाया है। हैदराबाद में नई हैचबैक कार सिलेरियो के लांच के मौके पर रमण ने कहा कि पिछले 18 जनवरी को हमने मारुति-800 का उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया है।
हमें ग्राहकों की जरूरतें पूरी करनी होंगी, लिहाजा हम स्पेयर पाट्र्स मुहैया कराते रहेंगे। मारुति सुजूकी ने घरेलू ऑटो इंडस्ट्री में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली इस कार की बिक्री देशभर के 13 शहरों में अप्रैल 2010 से ही बंद कर रखी थी। इनमें हैदराबाद, बंगलुरू, कानपुर व पुणे जैसे शहर शामिल हैं।
कैसे शुरू हुआ मारुति का सफर
70 के दशक में ‘पीपुल्स कार’ का सपना संजय गांधी ने देखा था। उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था और इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी कमज़ोर थे। इसलिए मध्यम वर्ग भारतीयों के लिए कम कीमत की छोटी कार ही आदर्श हो सकती थी। इस कार की डिजाइन और उत्पादन के लिए विशेष अनुबंध हुआ, लेकिन दुर्भाग्य से प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ा। 1980 में संजय गांधी की असामायिक मौत हो गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी नहीं चाहती थीं कि उनके बेटे का सपना उसकी मौत के साथ अधूरा रह जाए।
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