आपका-अख्तर खान

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16 जनवरी 2014

मेरे दूर होने की

मेरे दूर होने की
तड़प साफ़ तैरती है
तुम्हारी आँखों में
और तुम
कहते हो कचरा है
पनीली आँखों में
झाँकने पर
समझ जाती हूँ
नहीं सोये कई रातों तक
क्यों बोलते हो झूट ?
कि प्रेम नहीं मुझसे
हर आहट तुम्हारी
जान जाती हूँ मैं
हर कदम साथ होते हो मेरे
तुम्हारा प्रेम ही
ताकत है मेरी और कमजोरी भी
तुम ना मानो
मुझे तो है तुमसे
बहुत प्रेम जो अब
वजह है मेरे जीने की
तुम छिपाओ
मैं जत्लाउ
है तो ये प्रेम ही
क्योकि हम दोनों हैं प्रेम में

....सरिता

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