एक सच लेकिन कड़वा .....
तुम सय्येद भी हो मिर्ज़ा भी हो अफ़ग़ान भी हो
तुम सभी कुछ हो बताओ कि मुस्लमान भी हो ”
एक जवाब लेकिन कड़वा ...
बाँट कर हमे में समाजों में
भूखंड लेकर हम
गुलाम इनके हो गए
बताओ तो सही
चंद टुकड़ों में बिके हम
मुसलमान आज
अपने ईमान से क्यूँ
बेईमान हो गए ..
कोई अंसारी
कोई पिंजारा
कोई फातेहान
कोई क़ुरेशी
कोई घोसी
कोई शाह
कोई देसवाली
ऐसे केसे केसे हमारे टुकड़े हो गए
ऐसे केसे हम मुसलमान हो गए .............अख्तर
तुम सय्येद भी हो मिर्ज़ा भी हो अफ़ग़ान भी हो
तुम सभी कुछ हो बताओ कि मुस्लमान भी हो ”
एक जवाब लेकिन कड़वा ...
बाँट कर हमे में समाजों में
भूखंड लेकर हम
गुलाम इनके हो गए
बताओ तो सही
चंद टुकड़ों में बिके हम
मुसलमान आज
अपने ईमान से क्यूँ
बेईमान हो गए ..
कोई अंसारी
कोई पिंजारा
कोई फातेहान
कोई क़ुरेशी
कोई घोसी
कोई शाह
कोई देसवाली
ऐसे केसे केसे हमारे टुकड़े हो गए
ऐसे केसे हम मुसलमान हो गए .............अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)