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22 नवंबर 2013

दोस्तों आज आपकी मुलाक़ात एक मस्त शख्सियत से कराते है ..आप से मिलिए ....आप है ओमेंद्र जी सक्सेना

दोस्तों आज आपकी मुलाक़ात एक मस्त शख्सियत से कराते है ..आप से मिलिए ....आप है ओमेंद्र जी सक्सेना .....क़रीब सो साल से जवान है ..कभी माइक और रेडियो का काम करने वाले ओमेंद्र रेडियोज के मालिक ....भाई ओमेंद्र प्रेस फोटोग्राफर बने और कोटा में इनके प्रेस फोटोग्राफर बन्ने के बाद ..जांबाज़ फोटोग्राफी के अलावा आटिस्टिक ..सहित कई विधाएं शुरू हुई ..बिना लिखे ..बिना अल्फ़ाज़ों के ....इनकी तस्वीरे मुंह से बोलने लगी .....केवल एक तस्वीर ...अपने आप में एक बढ़ी खबर ...एक बढ़ी कहानी बयान करती दिखी ...इनकी इस विधा को ...कोटा से प्रकाशित समाचार पत्रों ने गले लगाया .....तो  कोटा की जनता ने फोटोग्राफी की इनकी विधा को सर पर बिठाया .........ओमेंद्र जी का मृदुल व्यवहार ..चुटकुले बाज़ी का स्व्भाव ...सभी को अपना बनाने के लिए काफी है ...दोस्ती करो ..दोस्ती निभाओ ...हंसो और हंसाओ ....एक दूसरे कि मदद करो ..प्यार दो प्यार लो के सिद्धांत पर चलने वाले इस शख्स के बारे में हम यक़ीन से कह सकते है ...के ऐसा कोई शख्स नहीं होगा जो इनके साथ हो और इनकी बात पर ठहाका नहीं लगाये ....रोते हुए को हंसाना ..उदास की उदासी मिटाकर उसे ख़ुशी का अहसास दिलाना इनका हुनर है ...भाई ओमेंद्र जी पहले जार पत्रकारों की संस्था में पदाधिकारी रहे ....प्रेस कल्ब में अनेकों बार महत्वपूर्ण पदों के लिए चुनाव लड़कर एक तरफा जीत हांसील की ...ओमेंद्र जी हर वक़त प्रेस से मुताल्लिक़ लोगों कि मदद के लिए तय्यार मिलते है ..प्रेस कल्ब में इन्होने संचार क्रान्ति के लिए कम्प्यूटर सहित कई उपकरण भेंट किये .........वर्त्तमान में आप राष्ट्रीय प्रेस संस्था के प्रदेश अध्यक्ष है और कई सम्मेलन ..कई सेमिनार यह पत्रकारों के प्रशिशक्षण और कल्याण के लिए करा चुके है ....दोस्तों इनकी शक्शियत और कार्यो पुरस्कारो ..सम्मान कार्यक्रमों के लिए तो शब्द और स्थान कम पढ़ जाएगा इसलिए में माफ़ी चाहता हुए लेकिन इनके जीवन की महत्वपूर्ण दो घटनाएं बताना ज़रूरी है जो इनकी ज़ुबानी तो लुत्फ़ देती है लेकिन में अपनी फूहड़ जुबां में बया कर रहा हूँ ............दोस्तों ओमेंद्र जी की दाड़ी इनकी पहचान है लेकिन कई लोग इस दाड़ी कि वजह से इन्हे मुस्लिम समझते रहे है .............हर बार ईद के फोटू को कवर करना इनकी मुख्य ज़िम्मेदारी थी कोटा की किशोरपुरा ईद गाह पर यह ईद पर जाते वी आई पी प्रशासनिक चोकी पर चढ़ कर इन्हे फोटू खेंचना होता था वहाँ कुछ बुज़ुर्ग लोगों से यह सलाम करते और वोह कहते भाई फोटू बाद में खेंचना पहले नमाज़ तो पढ़ लो यह कहते अच्छा चाचा नमाज़ अभी पढ़ता हूँ फिर जब नमाज़ होती तो यह चाचा इन्हे काफी नाराज़गी भरे अल्फ़ाज़ों में खरी खोटी सुनाते यह हंसते हुए सुनते और कहते चाचा अब अगली बार पढूंगा ..यह सिलसिला एक दशक से भी अधिक चला चाचा के साथ कई चाचा जुड़ते गए और कुछ चाचा अल्लाह को प्यारे हो गए लेकिन ईद पर फोटू खेंचते वक़त नमाज़ पढ़ाने की ज़िद पर कई चाचाओं की नाराज़गी का शिकार इन्हे बनना पढ़ा और हर बार नए क़िस्से होते जिन्हे यह लुत्फ़ लेकर सुनते और एन्जॉय करते रहे है .....एक बार इनके लाडपुरा वाले मकान में कुछ लोगों से झगड़ा हुआ ओमेंद्र जी ने समझाइश की कोशिश की नहीं माने मारपिटाई हुई ओमेंद्र जी भरी पढ़े झगड़ने वाले प्रभावशाली थे उन्होेने इनेक खिलाफ रामपुरा कोटा कोतवाली में मुक़दमा दर्ज करवाया एक दाड़ी वाला और उसके बच्चों ने मार पिटाई की  ..मुक़दमा दर्ज हुआ ..गिरफ्तारी हुई ज़मानत  हुई और फिर मुक़दमा अदालत में चलता रहा तारीख पर तारीख में मामला चार साल तक चला गवाही में जब फरियादी आये और सरकार ओमेंद्र सक्सेना के नाम से आवाज़ पढ़ी तो यक़ीन मानिये फरियादी और गवाहों ने अदालत में मुझ से सवाल किया के आपके पक्षकार क्या ओमेंद्र सक्सेना हिनूद मेने हां कहते हुए उन्हें समझाइश की के समझोते से अगर मामला निपटाना चाहो तो निपटा लो ...बात चीत हुई ..फरियादी और गवाहो का कहना था के भाईसाहब हम तो आपको दाड़ी की वजह से मियाजी समझ बेठे थे और इसीलिए झगड़ा भी क्या मुक़दमा भी दर्ज कराया और बंद भी कराया ...उनका कहना था एक बार तो आप अपना नाम बताते ..ओमेंद्र जी हंस कर बोले भाई झगड़ा चल रहा था तो में पहले झगड़ा करता या फिर अपनी ज़ात और नाम बताता ..ओमेंद्र जी ने कहा के अब बताओ क्या करे ..फरियादी और गवाह ने उनसे हाथ मिलाया गले मिले अरे भाई साहब हमने तो दाड़ी के साथ मियाजी की गलत फहमी में मुक़दमा दर्ज कराया था अब हमारा केसा झगड़ा हम भाई भाई है ..तब ओमेंद्र जी ने कहा के देख लो में हिन्दू हूँ तो क्या मेरे वकील तो मुस्लिम है ..फरियादी और गवाह हँसे और कहने लगे नहीं हम सब भाई भाई है और यह मुक़दमा जो चार साल तक अदालत में घसीटा गया एक पल में राजीनाम से खत्म हो गया .....................ओमेंद्र जी इन दिनों डी डी वन चेनल सहित कई चेनलों के लिए स्व्तंत्र खोजी कार्यक्रम बना रहे है ..यह टेली फिल्मे भी बनाते है और जयपुर में इनका अपना स्टूडियों अपनी टीम है ...ऐसे पत्रकार को सलाम ..जो हँसे और हंसाये ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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