आपका-अख्तर खान

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09 अक्तूबर 2013

तुम्हे मुझ से प्यार नहीं ,,,

चलो मान ली तुम्हारी बात
तुम सही कहते हो
तुम्हे मुझ से प्यार नहीं ,,,
फिर भी जरा यह तो बताओ ..
मेरे लिए क्यूँ धड़क रहा है
दिल सीने में तुम्हारा
मेरे लिए क्यूँ सोचता है
दिमाग तुम्हारा
में तकलीफ में होता हूँ
तो क्यूँ चीखती है
जुबान तुम्हारी
क्यूँ सिसकता है दिल तुम्हारा .
में न मिल पाऊं तुम्हे अगर
तो बताओ क्यूँ घबराता है दिल तुम्हारा
क्यूँ होते हो तुम बदहवास से
क्यूँ रहते हो तुम खोये खोये बे ख्याल से
चलो मान ली तुम्हारी बात
तुम्हे मुझ से प्यार नहीं
तुम्हे मुझ से प्यार नहीं
जरा मुझे यह तो बतलाओ .........
हर आहट पर
क्यूँ करती हो मेरा इन्तिज़ार
कहते तो हो
मुझे नहीं है तुमसे प्यार
फिर बताओ क्यूँ रहते हो
मेरे लिए
मुझ से मिलने के लिए तुम बेकरार ..
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

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