आपका-अख्तर खान

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28 सितंबर 2013

महकता हूँ - बहकता हूँ .

महकता हूँ -
बहकता हूँ .
में ग़मों की
खारिशों में .
भीगता हूँ -
छीजता हूँ .
तरबतर हूँ -
बारिशों में .

नित नयी -
एक वेदना है
ठीक होते -
घाव भी हैं .
तेज़ गति है -
जिन्दगी में .
कठिन कुछ -
पड़ाव भी हैं .

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